नई दिल्ली। देश के स्वतंत्रता संग्राम में 8 अगस्त का दिन बेहद खास है. आज ही के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. इसमें महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. देश आज भारत छोड़ो आंदोलन का 78वीं वर्षगाठ मना रहा है.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महात्‍मा गांधी के नारे ‘करो या मरो’ को नए मायने देने की वकालत की है. राहुल ने ट्वीटर पर लिखा कि ‘अन्‍याय के खिलाफ लड़ो, डरो मत!’ इसमें राहुल ने वह ऐतिहासिक तस्‍वीर भी साझा की है, जिसमें बापू विशाल जनसभा के सामने ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. राहुल ने अपने ट्वीट में कहा, ‘गांधीजी के ‘करो या मरो’ के नारे को नए मायने देने होंगे.’

भारत छोड़ो आंदोलन का इतिहास

भारत छोड़ो आन्दोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन में शुरू किया गया था. क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया.  8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय कांगेस कमेटी के बम्बई सत्र में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नाम दिया गया था.

यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी कांड के ठीक 17 साल बाद 9 अगस्त 1942 को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ. यह भारत को तुरंत आजाद करने के लिए अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक सविनय अवज्ञा आंदोलन था.

हालांकि गांधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देशभर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे. कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे.

ऐसा माना जाता है कि यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का आखिरी सबसे बड़ा आंदोलन था, जिसमें सभी भारतवासियों ने एक साथ बड़े स्तर पर भाग लिया था. कई जगह समानांतर सरकारें भी बनाई गईं, स्वतंत्रता सेनानी भूमिगत होकर भी लड़े.
यह आंदोलन ऐसे समय में प्रारंभ किया गया जब द्वितीय विश्वयुद्ध जारी था. औपनिवेशिक देशों के नागरिक स्वतंत्रता के प्रति जागरूक हो रहे थे और कई देशों में साम्राज्‍यवाद एवं उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन तेज़ होते जा रहे थे.

‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी प्रसिद्ध

14 जुलाई, 1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति ने ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव पारित किया एवं इसकी सार्वजनिक घोषणा से पहले 1 अगस्त को इलाहाबाद (प्रयागराज) में तिलक दिवस मनाया गया. 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक बंबई (मुंबई) के ग्वालिया टैंक मैदान में हुई और ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के प्रस्ताव को मंज़ूरी मिली. इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई थी कि भारत में ब्रिटिश शासन की तत्काल समाप्ति भारत में स्वतंत्रता तथा लोकतंत्र की स्थापना के लिये अत्यंत आवश्यक हो गई है. भारत छोड़ो आंदोलन को ‘अगस्त क्रांति’ के नाम से भी जाना जाता है. इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्‍य को समाप्त करना था.