वाह रे…’सरकारी सिस्टम’: कलम की बजाय बच्चों के हाथ में तगाड़ी-फावड़ा थमा रहा शिक्षक, चिलचिलाती धूप में करवाई मजदूरी, तो गड्ढे भरवाकर गढ़ेंगे बच्चों का भविष्य ?