पूर्णिया। इंसान की असली पहचान उसके अच्छे कार्यों से होती है। कुछ लोग अपने जीवन में ऐसा काम कर जाते हैं, जिससे उनके जाने के बाद भी समाज उन्हें याद करता है। पूर्णिया जिले के विवेकानंद कॉलोनी, वार्ड 25 स्थित एक परिवार ने ऐसा ही एक प्रेरणादायक कदम उठाया है।
दो नेत्रहीन लोगों को मिली रोशनी
इस नेक पहल की शुरुआत की परिवार की बुजुर्ग सदस्य अवंतिका देवी ने जिनका 19 मई 2025 को 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। लेकिन उन्होंने अपने जीवनकाल में नेत्रदान का संकल्प पहले ही ले लिया था। उनके निधन के बाद, परिजनों ने दधीचि देहदान समिति से संपर्क किया और मेडिकल टीम ने समय पर पहुंचकर नेत्रदान की प्रक्रिया को पूरा किया। उनकी आंखें अब दो नेत्रहीन लोगों को रोशनी दे रही हैं।
पूरे परिवार ने मिलकर किया निश्चय
अवंतिका देवी की इस सोच से प्रेरणा लेकर उनके पुत्र संजीव कुमार बहू स्वीटी कुमारी रिश्तेदार अभय कुमार मंडल और शांति देवी ने भी नेत्रदान का संकल्प लिया। पूरे परिवार ने मिलकर यह निश्चय किया कि मृत्यु के बाद भी वे किसी की जिंदगी में उजाला जरूर छोड़ेंगे।
संजीव कुमार का कहना है कि समाज में आज भी नेत्रदान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां और गलत धारणाएं हैं। लेकिन जब डॉ. अनिल कुमार गुप्ता और रविंद्र कुमार साह जैसे विशेषज्ञों ने उन्हें नेत्रदान की प्रक्रिया, उसका महत्व और धार्मिक दृष्टिकोण से जुड़े पहलुओं को विस्तार से समझाया, तो उनका नजरिया बदल गया।
परिवार अब समाज से कर रहा अपील
परिवार अब समाज से भी अपील कर रहा है कि अधिक से अधिक लोग नेत्रदान के लिए आगे आएं। यह एक ऐसा पुण्य कार्य है, जिससे किसी की अंधेरी दुनिया में रोशनी लाई जा सकती है। नेत्रदान न केवल एक व्यक्ति की जिंदगी बदलता है, बल्कि समाज में सकारात्मक सोच और बदलाव की लहर भी लाता है।
अवंतिका देवी का यह कदम पूरे समाज के लिए प्रेरणा बन गया है। उन्होंने दिखा दिया कि मृत्यु के बाद भी किसी की जिंदगी में उम्मीद की किरण बनकर जिया जा सकता है।
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