गांव से लेकर शहर तक सामूहिक रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा बड़ी ही आस्था के साथ एक पूजा की जाती है. जिस पूजा को महिलाएं ‘अवसान देवी की दुरदुरैय्या’ कहती हैं. ऐसा माना जाता है कि अवसान देवी के नाम से कोई भी मन्नत दिया जाए तो वह निश्चित रूप से संपूर्ण है. इसलिए महिलाएं देवी से मन्नत मांगती हैं.

यह विशेष पूजा अक्सर शुभ कार्यों के बाद घर या धार्मिक क्षेत्र पर काम करती है. पूजा होने के बाद प्रसाद के रूप में लिया, चना और गुड या मिठाई खिलाई जाती है. महिलाएं ये पूजा बड़ी आस्था और भक्त के साथ करती हैं. विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा मन्नत पूर्ण होने के बाद यह पूजा की जाती है. यह पूजा गुरुवार को की जाती है. इससे एक दिन पहले यानी बुधवार को 14 सुहागिन महिलाओं को निमंत्रण दिया जाता है.

सुहागिन महिलाओं की 7, 14 महिलाओं की टोलियां बनाकर दुरदुरिया पूजन करती है. यह कार्यक्रम सुबह से दोपहर तक चलता है. कई समूह में बंटी महिलाओं ने अवसान माई की पूजा अर्चना की जाती है. पूजा अर्चन के बाद महिलाओं को अवसान माता की कथा सुनाई जाती है. इस पूजा को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों और अलग-अलग तरीकों से किया जाता है.

पूजा की सामग्री इस तरह होती है
लाल या पीला कपड़ा
लाल चुनरी या साड़ी
कलश
आम के पत्ते
फूल माला और लाल फूल
एक जटा वाला नारियल
पान के पत्ते
सुपारी
इलायची
लौंग
कपूर
रोली-सिंदूर
मौली
चावल