दिल्ली. 20 रुपये की खरीद पर 10 रुपये कैशबैक। बिल के फोटो पर कैशबैक, शॉपिंग पर बड़ा कैशबैक, बाजार में ऐसे ऑफरों की भरमार है। मगर आपको पता होना चाहिए कि कैशबैक की आड़ में कंपनियां आपके डाटा में भी सेंध लगा रही हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े भी बता रहे हैं कि बीते कुछ समय में साइबर धोखाधड़ी में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं इसके और भी बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले एक साल में ठगों ने दोगुनी से भी ज्यादा रकम का चूना लगाया है। कैशबैक का फायदा उठाने के लिए सबसे जरूरी होता है मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल। इसे मोबाइल में इंस्टॉल करने के बाद ही ऑफर से जुड़ा जा सकता है। एप्लीकेशन इंस्टॉल करते समय कई ऐप ऐसे हैं जो गैर जरूरी अनुमति लेकर मोबाइल के भीतर न सिर्फ डाटा की चोरी करते हैं बल्कि जरूरी वित्तीय जानकारियों के जरिए धोखाधड़ी भी कर लेते हैं।
ये मोबाइल ऐप कॉल, एसएमएस, एक साथ दूसरे मोबाइल एप्लीकेशन का एक्सेस, फोटो गैलरी, कैमरा और जीपीएस जैसी इजाजत मांगते हैं। कई मामलों में एप वो जानकारी भी मांग लेते हैं, जिसकी जरूरत नहीं होती है। ऐसे में अगर किसी कैशबैक कंपनी के मोबाइल एप्लीकेशन ने आपके बैंकिंग एप्लीकेशन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो बड़ा नुकसान पहुंच सकता है।
मोबाइल एप विज्ञापन के जरिए कमाई करते हैं। उस रकम से ग्राहक को कैशबैक दिया जाता है। साथ ही ये एप्लीकेशन अपने साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की होड़ में होते हैं। इस सेक्टर से जुड़े जानकरों का मानना है कि इस बाजार में जिसके पास जितने ज्यादा क्लाइंट बेस होंगे, उसकी उतनी कीमत होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक क्लाइंट बेस बढ़ाने की आड़ में लोक लुभावन ऑफर्स की भरमार होती रहती है।
बैंकों और वित्तीय लेन देन से जुड़ी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ काम कर रही कंपनी ‘ल्युसिडियस’ के सह-संस्थापक राहुल त्यागी का कहना है, ‘किसी विशेष एप के बढ़ते क्लाइंट बेस के आधार पर उससे मिलते जुलते नाम के भी एप बाजार में आ जाते हैं, जो थोड़े समय के लिए और बड़े ऑफर्स देकर लोगों के साथ धोखाधड़ी को अंजाम दे देते हैं। मगर थोड़ी सावधानी से आप धोखा खाने से बच सकते हैं।’