सत्या राजपूत, रायपुर. राजधानी रायपुर के नगर निगम कार्यालय के ठीक सामने पंडित विद्याचरण शुक्ल गार्डन है, जिसे निगम गार्डन के नाम से भी जाना जाता है. इस गार्डन के मेंटनेंस के नाम पर व्यवसायीकरण कर इसे ठेका में दिया गया. गार्डन के अंदर नुक्कड़ चौपाटी खोला गया. कई सालों से ठेकेदार और निगम इस गार्डन से लाखों करोड़ों कमा रहे हैं. ऐसे में ये गार्डन प्रदेश के लिए वैल मेंटेन उदाहरण होना था, लेकिन इस गार्डन की हालत बद से बदतर हो चुकी है. यह गार्डन अब नशेड़ियों और चोरों का अड्डा बन गया है.
गार्डन में लटकते CCTV कैमरे, गंदगी से भरे शौचालय, इधर-उधर बिखरे कचरे का ढेर और कागजों में दर्ज माली व सुरक्षाकर्मियों की गैरमौजूदगी इस गार्डन की हकीकत बयां करती है. कुछ महीने पहले लल्लूराम डॉट कॉम ने इस बदहाली को उजागर किया था, जिसके बाद महापौर मीनल चौबे ने गार्डन का दौरा किया और ठेकेदारों को चेतावनी देते हुए व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे, लेकिन सुधार कुछ नहीं हुआ बल्कि गार्डन की स्थिति पहले से भी ज्यादा बदतर हो गई है.


नेता प्रतिपक्ष ने कहा – अब गलत सही कैसे हो गया ?
नेता प्रतिपक्ष संदीप साहू ने महापौर पर निशाना साधते हुए कहा, जब मीनल चौबे नेता प्रतिपक्ष थीं तब गार्डनों का व्यवसायीकरण गलत था. आवाज उठाती रही है, अब महापौर बनने के बाद वही गलत सही कैसे हो गया? उन्होंने सवाल उठाया कि गार्डन के मेंटेनेंस के नाम पर ठेकेदार हर महीने 4-5 लाख रुपए कमा रहे हैं. दुकानदारों से किराया वसूला जा रहा है, लेकिन न तो मेंटेनेंस दिखता है और न ही सुरक्षा. दुकानों में सेंधमारी, सामान चोरी और रात होते ही गार्डन अंधेरे में डूब जाता है, जहां नशेड़ियों का जमावड़ा लगता है. बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही है. यह मेहरबानी आख़िर क्यों है ?

नागरिकों का फूटा गुस्सा, जनप्रतिनिधि और अधिकारी पर लगाए आरोप
जब लल्लूराम डॉट कॉम की टीम नगर निगम गार्डन पहुँची तो गार्डन में घूम रहे लोगों ने जमकर निगम पर ग़ुस्सा उतारा. वैभव राजपूत, रूपेश साहू और पूजा वर्मा ने गुस्सा जाहिर करते हुए कहा, अधिकारी और महापौर देखकर अनदेखी कर रहे हैं. उनके नाक के नीचे पूरा खेल हो रहा है. सड़क पार निगम का कार्यालय है, क्या ये बदहाली महापौर और अधिकारियों को दिखाई नहीं देता. ठेकेदार अनुबंध की धज्जियां उड़ा रहे हैं, लेकिन अधिकारी चुप हैं. अनुबंध के अनुसार बिजली, पानी, CCTV, लाइट, माली और सुरक्षाकर्मी की व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन शौचालय महामारी का अड्डा बन चुका है.

महापौर ने कहा – बारिश रुकने के बाद फिर करूंगी निरीक्षण
महापौर मीनल चौबे ने कहा, बरसात का मौसम है, बारिश रुकने दो, फिर मैं खुद निरीक्षण करूंगी. ठेकेदार नियम नहीं मान रहा तो उस पर जुर्माना लगेगा, लेकिन सवाल यह है कि जब पहला निरीक्षण और चेतावनी का कोई असर नहीं हुआ तो अब क्या बदलेगा? नागरिक पूछ रहे हैं, क्या महापौर की बात अधिकारी नहीं सुनते? या अधिकारियों की बात ठेकेदार नहीं मानते?
कटघरे में महापौर और अधिकारी
सामाजिक कार्यकर्ता लक्की यादव ने कहा, जब नगर निगम कार्यालय के सामने ही गार्डन का यह हाल है तो शहर के अन्य गार्डनों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद न लाइट, न सुरक्षा, न साफ-सफाई. बदबू इतना कि दम घुट जाए. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या रायपुर के गार्डन सिर्फ निगम और ठेकेदारों की कमाई का जरिया बनकर रह गए हैं? यही सब कारण है कि स्वच्छता रैंकिंग में हम भी मात खाते हैं ? इस तरह के हालात से वर्तमान में जो रैंकिंग मिला है उसमें भी सवाल खड़ा होता है ? नागरिकों और विपक्ष का कहना है कि अगर महापौर और अधिकारी गंभीर हैं तो ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या जुर्माना भी सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगा? रायपुर की जनता अब जवाब चाहती है.
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