Ayodhya Ram Mandir: प्रभु श्रीराम जब माता सीता को ब्याहकर अयोध्या लाए थे, तब राजा जनक ने विदाई में खूब उपहार दिए थे. विदेह के घर से आया दान देखकर राजा दशरथ ने कहा कि सभी भौतिक तापों से मुक्त राजा के यहां से आया दान कैसे ग्रहण किया जाए? वापस किए जाने में भी कठिनाई है. क्योंकि उसे अपमान की श्रेणी में गिना जाएगा. फिर राजा दशरथ ने सभी उपहार विद्या कुंड के पास रखवा दिए.
मणि और अन्य आभूषण इतने थे कि उसने पर्वत का आकार ले लिया. इसी स्थान को आज मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि सावन में हरियाली तीज के दिन श्रीराम और माता सीता इसी स्थान पर झूला झूलते थे. यह परंपरा आज भी कायम है. यहां हर साल मणि पर्वत पर भगवान राम और माता सीता के लिए झूला पड़ता है. भगवान को झूला झुलाया जाता है. पूरे सावन भर यहां उत्सव का माहौल होता है. इसे सावन झूला मेला कहा जाता है.
एक जनश्रुति यह भी है कि राजा जनक एक बार बेटी का कुशलक्षेम जानने के लिए अयोध्या आए थे. वह तब अयोध्या के पास स्थित जनौरा गांव में रुके थे. उन्होंने यहां भोजन किया था, जिसके बाद उस स्थान को जनकौरा कहा जाने लगा था। बेटी के क्षेत्र में भोजन करने के बदले में राजा जनक ने खूब मणियां दान की थीं, जिन्हें यहां रखवाया गया था. इस जगह पर दर्शन-पूजन के लिए यूं तो तमाम श्रद्धालु रोज आते हैं, लेकिन सावन में यहां आने वालों की खूब भीड़ होती है.