ओरछा। बेतवा नदी के तट पर बसे ऐतिहासिक शहर ओरछा की स्थापना 16वीं शताब्दी में बुंदेला राजपूत प्रमुख रुद्र प्रताप ने की थी। वहीं इसी16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला शासक मधुकरशाह की महारानी कुंवरि गणेश अयोध्या से रामलला को ओरछा ले आईं थीं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार ओरछा के शासक मधुकरशाह कृष्ण भक्त थे, जबकि उनकी महारानी कुंवरि गणेश, राम उपासक। इसके चलते दोनों के बीच अक्सर शास्त्रार्थ होता था। एक बार मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने का प्रस्ताव द‍िया पर उन्होंने विनम्रतापूर्वक उसे अस्वीकार करते हुए अयोध्या जाने की जिद कर ली। तब राजा ने रानी पर व्यंग्य किया क‍ि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ।

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इस पर महारानी कुंवरि अयोध्या रवाना हो गईं। वहां उन्होंने 21 दिनों तक तप किया। इसके बाद भी उनके आराध्य प्रभु राम प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने सरयू नदी में छलांग लगा दी।कहा जाता है क‍ि महारानी की भक्ति देखकर भगवान राम नदी के जल में ही उनकी गोद में आ गए। तब महारानी ने राम से अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया तो उन्होंने तीन शर्तें रख दी।

रामलला की तीन शर्तें

  • पहली, मैं यहां से जाकर जिस जगह बैठ जाऊंगा, वहां से नहीं उठूंगा।
  • दूसरी, ओरछा के राजा के रूप विराजित होने के बाद क‍िसी दूसरे की सत्ता नहीं रहेगी।
  • तीसरी और आखिरी शर्त खुद को बाल रूप में पैदल एक विशेष पुष्य नक्षत्र में साधु संतों को साथ ले जाने की थी।

महारानी ने ये तीनों शर्तें सहर्ष स्वीकार कर ली। इसके बाद ही रामराजा ओरछा आ गए। तब से भगवान राम यहां राजा के रूप में विराजमान हैं। राम के अयोध्या और ओरछा, दोनों ही जगहों पर रहने की बात कहता एक दोहा आज भी रामराजा मन्दिर में लिखा है कि रामराजा सरकार के दो निवास हैं खास दिवस ओरछा रहत हैं रैन अयोध्या वास।

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ओरछा में प्रभु राम पर एक और बात प्रचलित है। यहां कहा जाता है कि 16वीं सदी में जिस समय भारत में विदेशी आक्रांता मंदिर और मूर्तियों को तोड़ रहे थे, तब अयोध्या के संतों ने जन्मभूमि में विराजमान श्रीराम के विग्रह को जल समाधि देकर बालू में दबा दिया था। यही प्रतिमा रानी कुंवरि गणेश ओरछा लेकर आई थीं। साह‍ित्यकार राकेश अयाची कहते हैं क‍ि 16वीं सदी में ओरछा के शासक मधुकर शाह ही एकमात्र ऐसे पराक्रमी हिंदू राजा थे जो अकबर के दरबार में बगावत कर चुके थे।

रामराजा सरकार के दो निवास
संवत 1631 में चैत्र शुक्ल नवमी को जब भगवान राम ओरछा आए तो उन्होंने संत समाज को यह आश्वासन भी दिया था क‍ि उनकी राजधानी दोनों नगरों में रहेगी। तब यह बुन्देलखण्ड की ‘अयोध्या’ बन गया। ओरछा के रामराजा मंदिर की एक और खासियत है। एक राजा के रूप में विराजने की वजह से उन्हें चार बार की आरती में सशस्त्र सलामी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। ओरछा नगर के परिसर में यह गार्ड ऑफ ऑनर रामराजा के अलावा देश के किसी भी वीवीआईपी को नहीं दिया जाता।

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