रायपुर. प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने आयुष विभाग के कला जत्था टेंडर में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. डॉ राकेश गुप्ता ने अपने शिकायत पत्र में कहा है कि आयुष के अधिकारियों ने नियम के विरुद्ध अपात्र संस्थाओं को टेंडर दिया है. साथ ही जत्था कार्यक्रम में भारी गड़बड़ी की गई है. उन्होंने 6 सौ कार्यक्रम एक ही संस्था द्वारा कराने पर संदेह जताया है. कांग्रेस चिकित्सी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ने कला जत्था राशि की बंदरबांट की शिकायत प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और संचालक स्वास्थ्य सेवाएं एवं आयुष से किया है.

प्रदेश कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने पत्र में यह लिखा पढ़िए-

आयुष विभाग द्वारा लगभग 570 ग्रामों में आयुष पद्धति के प्रति जनसामान्य में जागरूकता लाने के लिए लोक कलाकार और कला जत्था के माध्यम से आयुर्वेद ग्रामों में आयुर्वेद चिकित्सा एवं पद्धति से इलाज के प्रचार प्रसार के उद्देश्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी. जिसमें संस्था की पात्रता के चयन से लेकर कार्यक्रम कराने तक एक व्यक्ति विशेष और अपात्र संस्थाओं को टेंडर दिलाने में संचालक आयुष के अधिकारियों के द्वारा नियम को तोड़ मरोड़ कर चयन किया गया है. चयन प्रक्रिया के अंतर्गत चहुंमुखी विकास समिति रायपुर द्वारा विभाग के निर्धारित टेंडर की तिथि थी.

उक्त चहुंमुखी विकास समिति द्वारा ऑडिट रिपोर्ट, रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसाइटी धारा 27-28 नवीनीकरण के संबंध में दस्तावेज जमा नहीं किए गए थे. जिसकी टेंडर में आवश्यक आहर्ता रखी गई थी और इसलिए टेंडर के विरुद्ध जाकर 7 दिन का अतिरिक्त समय कागज की खानापूर्ति के लिए दिया गया और विभिन्न चरणों में कला जत्था के द्वारा प्रचार-प्रसार का कार्यक्रम करने के लिए भारी गड़बड़ियां की गई.

सूचना के अधिकार से मिली जानकारी से यह स्पष्ट हो जाता है कि आयुष विभाग की लापरवाही और सांठगांठ के तहत निर्धारित टेंडर तिथि 7 जनवरी 2017 से 6 मार्च 17 तक मान्य थी, लेकिन नियम के विरुद्ध लगभग 18 माह बाद यह कार्यक्रम को अपने तरीके से आनन-फानन में संचालित किया जा रहा है. ऐसी संस्था को कार्य आदेश दिया जाना जिसमें 2015-16, 16-17, 17-18 का ऑडिट रिपोर्ट भी नहीं लगी हुई है.

सांकेतिक फोटो

इसी तरह विभाग के द्वारा शासकीय राशि का दुरुपयोग करते हुए ऐन बारिश के समय में 570 से अधिक वन ग्रामों में आयुर्वेद का प्रचार प्रसार जाना जो वन ग्राम वर्षा ऋतु में पहुंच विहीन हो जाते हैं. यह शासकीय राशि का दुरुपयोग है और इसमें कार्यक्रम की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. इससे कार्यक्रम का उद्देश्य जनउपयोगी नहीं रह गया है और मात्र खानापूर्ति और गुणवत्ता विहीन कार्यक्रम से विशेष संस्था को लाभ पहुंचाने के अलावा आयुष विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है. कार्यक्रम का एक मात्र उद्देश्य केवल सत्रह लाख की बंदरबांट का रह गया है. जबकि पूर्व में इस तरह के कार्यक्रम को प्रदेश के मौसम और जन सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए महा नवंबर से फरवरी के बीच किया जाता था.

इस प्रकार के नियम विपरीत टेंडर का किया जाना एक बड़े गबन की ओर इशारा करता है और अधिकारियों और चहुंमुखी विकास समिति की मिलीभगत की ओर इशारा करता है. आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए लगभग 600 कार्यक्रम एक ही संस्था से कराया जाना संदेह की पुष्टि करता है, जबकि इससे पहले यह कार्यक्रम अलग-अलग स्थानों में अलग-अलग स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से किए जाते थे और प्रचार प्रसार का उद्देश्य भी आयुर्वेद के हित में गुणवत्ता पूर्वक पूरा हो जाता था.

ज्ञात हुआ है कि यह संस्था वर्तमान में रजिस्ट्रार फर्म और सोसायटी के रिकॉर्ड में जीवित नहीं है. कृपया उक्त प्रकरण की पूरी पारदर्शिता तरीके से निष्पक्ष जांच की जाए और संस्था को दिए जाने वाले भुगतान की प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोकी जाए. नियम विरुद्ध जाकर अधिकारियों द्वारा टेंडर प्रक्रिया का गैरकानूनी रूप से आवंटन को भी जांच के बिंदु में शामिल किया जाए और दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर पिछले सभी संबधित प्रकरणों की भी जांच की जाए.