लखनऊ. एसटीएफ मुख्यालय में पांच दिन में डॉटा मिलान और कई अफसरों-कर्मचारियों के बयान सबूत में अहम कड़ी बने. आयुष निदेशालय और काउंसलिंग करने के लिए अधिकृत एजेन्सी अपट्रॉन व वी-थ्री सॉफ्ट सॉल्यूशन के 22 अधिकारी व कर्मचारियों को एसटीएफ की पड़ताल में दोषी पाया गया है. इनके खिलाफ साक्ष्य भी मिल गए हैं. नीट की मूल मेरिट और काउंसलिंग में इस्तेमाल डॉटा बेमेल पाया गया था. बावजूद इसके कई अफसर जानकर अनजान बने रहे थे. किस तरह से डाटा में हेरफेर किया गया और वास्तविक अभ्यर्थियों को आउट कर दिया गया. इस बारे में भी कई तथ्य हाथ लगे हैं.

बता दें कि एसटीएफ ने इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद सबसे पहले निदेशालय के डायरेक्टर डॉ. एसएन सिंह से पूछताछ की थी. एसएन सिंह ने तीन दिन तक लगातार सवाल जवाब किए गए थे. इस बीच ही एसएन सिंह निलंबित भी कर दिए गए. एसएन सिंह से कई तथ्य हाथ लगने के बाद एसटीएफ ने डॉटा खंगालने शुरू किये तो तफ्तीश उलझती गई. इस पर आईटी विशेषज्ञों को बुलाकर डॉटा का मिलान कराया गया. एसटीएफ की दो टीमें चार दिन तक दिनभर इसको लेकर ही मंथन करती रही. इससे कई सुबूत हाथ लगे. नीट मेरिट का डाटा जिम्मेदार अफसरों की मौजूदगी में बाहरी लोगों को भेजा जाता रहा और सब चुप रहे.

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काउंसलिंग के लिए बने बोर्ड के सदस्य भी लापरवाह बने रहे. इन तथ्यों के आधार पर ही पड़ताल बढ़ती रही. काउंसलिंग में शामिल आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथ विशेषज्ञ भी थे, लेकिन ये सब बाहरी एजेन्सी के मोहरे की तरह काम करते रहे. इन बिन्दुओं पर लम्बी पड़ताल हुई और डॉटा से कई जानकारी मिलने पर गड़बड़ियों का उदगम पता चलता गया.