राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन चुका है। 22 जनवरी को भगवान की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही यह मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए खुलेगा। इस बीच ग्वालियर के मशहूर फोटोग्राफर केदार जैन की काफी चर्चा हो रही है जिन्होंने 1992 में बाबरी विध्वंस के वाकये को अपने कैमरे में कैद किया था। इन्हीं फोटोग्राफ्स के आधार पर सीबीआई कोर्ट में बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई हुई थी।

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केदार जैन के लिए राम मंदिर बनना किसी सपने से कम नहीं है। 32 साल पुराने इन फोटोग्राफ्स को केदार जैन ने आज भी धरोहर के तौर पर अपने पास सहेज कर रखा है। सीबीआई कोर्ट से लेकर पूरी दुनिया में आज केदार जैन को रामलला के फोटोग्राफर के रूप में जाना जाता है।

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केदार जैन ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि वे 6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों के साथ स्वतंत्र फोटोग्राफ के रूप में कवरेज के लिए गए थे। वहां चारों तरफ जन समूह के अलावा और कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। जैसे तैसे हम मौके पर पहुंचे तो भगवान राम का फोटो खींचा जो ताले में बंद था।

इसके बाद बड़े-बड़े नेता मौके पर पहुंचे और वहां कार सेवकों ने चबूतरे का निर्माण कर भगवान रामलला को विराजमान किया। साथ ही चबूतरे पर छोटा सा टेंट भी बना दिया। यह सभी फोटोग्राफ्स मैंने अपने कमरे में कैद किया। वह पल अविस्मरणीय है, और उसे भुलाया नहीं जा सकता। रामलला के फोटोग्राफर के रूप में जो पहचान मुझे मिली है उस पहचान को भी शब्दों में बयां कर पाना नामुमकिन है।

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उन्होंने बताया कि जब वे लौट कर आए तो उसके कुछ दिनों बाद सीबीआई की तरफ से एक समन आया। जिसे देखकर मन में कुछ शंका हुई। इसके बाद हमें बुलाया गया और हमसे पूरी पूछताछ की गई।

सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह फोटोग्राफ्स और नेगेटिव भले ही आपके हैं लेकिन इन्हें अब एक शासकीय संपत्ति के रूप में सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है। इन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होना चाहिए।

हमें कोर्ट में भी बुलाया गया जहां आवाज लगाई जाती थी, “रामलाल के फोटोग्राफर हाजिर हो”। यह वह आवाज होती थी जिसका मेरे कानों को बेसब्री से इंतजार होता था। जब वह अंदर जाते थे तो कटघरे में भी कई बार जज साहब भी चुटकी लेकर कहते थे- आ गए रामलला के फोटोग्राफर।

यह सुनकर मन और तन दोनों ही प्रफुल्लित हो जाता था। इसके बाद मेरे द्वारा खींची गई फोटो को आधार के रूप में लिया गया और कई बार इन्हें गलत साबित करने के भी प्रयास किए गए। इस दौरान कई बार बहस भी हुई। लेकिन अंत में इन्हीं तस्वीरों को आधार मानकर मामले की सुनवाई की गई।

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