नई दिल्ली- केंद्र सरकार द्वारा दी गई अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी बाबूलाल अग्रवाल ने सवाल खड़े किया है. उन्होंने इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण करार दिया है. लल्लूराम डाॅट काॅम से हुई बातचीत में बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि फिलहाल उन्हें आर्डर की काॅपी नहीं मिली है, लेकिन यदि इस तरह की कार्य़वाही मुझ पर हो रही है, तो देश में दूसरे ऐसे और अधिकारी हैं, जिन पर कार्य़वाही होनी चाहिए.

चेहरा छांट-छांट कर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए- बाबूलाल

बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि- 29 साल की मेरी सर्विस में मेरा परफार्मेंस आउटस्टैंडिंग रहा है. आउटस्टैंडिग सीआर है. मैंने सीबीआई की कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी है. मामला कोर्ट में विचााधीन है, ऐसे में ये कार्यवाही भेदभावपूर्ण नजर आती है. चेहरा छांट-छांटकर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए. सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया.

150 आईएएस के खिलाफ दी गई है अभियोजन की स्वीकृति, कार्रवाई क्यों नहीं- बाबूलाल

बाबूलाल अग्रवाल ने यह भी कहा कि देश में इस वक्त 150 से ज्यादा आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन चलाने की स्वीकृति केंद्र सरकार ने दे रखी है. बावजूद इसके आईएएस अधिकारियों के खिलाफ ना तो किसी तरह की विभागीय जांच चलाई जा रही है और ना ही किसी तरह की कार्ऱवाई हो रही है. उन्होंने कहा कि- मुझे आईरटीआई के तहत जानकारी मिल गई है. जानकारी के आधार पर मैंने कैट में इस फैसले को चुनौती दे रखी है. कैट में मामला चलने के बाद इस तरह की कार्रवाई कैसे की जा सकती है. बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल ने केंद्र और राज्य को नोटिस भी जारी किया है. ये नोटिस केंद्र और राज्य की जानकारी में है. बाबूलाल अग्रवाल ने कहा कि इस मामले को लेकर मैं पीछे नहीं हटूंगा. हक की लड़ाई जारी रहेगी. स्वाभिमान की रक्षा के लिए मैं लड़ाई करता रहूंगा.