संजय विश्वकर्मा, उमरिया। मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों से जुड़ी समस्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही है। 10 हाथियों की मौत बाद एक ओर जहां सीएम डॉ मोहन यादव के साथ-साथ PMO ने भी मामले को संज्ञान ले लिया था। वही बरेली लैब्स से आई रिपोर्ट के बाद बांधवगढ़ प्रबंधन अलर्ट मॉड पर है, क्योंकि 10 हाथियों की मौत के मामले में कोदो में मिले फंगस को जिम्मेदार ठहराया गया है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कई ऐसे गांव है जहां कोदो की फसल की किसानों के द्वारा लगाई गई है।
आज मिला एक हाथी शावक
बांधवगढ़ टाईगर रिसर्वे प्रबन्धन को आज शुक्रवार की सुबह 8:00 बजे सूचना मिली कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर एरिया के छतवा गांव के पास संदिग्ध परिस्थिति में हाथी का शावक उम्र लगभग 4 माह बीमार लेटा हुआ है। सूचना के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अधिकारी सहित डॉक्टर्स की टीम मौके पर पहुंची और मौके पर प्राथमिक इलाज देने के बाद ताला स्थित हाथी कैम्प लाया गया है।जहां हाथी शावक का स्वास्थ्य अब स्थिर बताया जा रहा है।
आखिर क्यों मां ने अपने जिगर के टुकड़े को छोड़ा
‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ का मतलब है, योग्यतम की उत्तरजीविता’ सिंद्धान्त के अनुसार जंगल में वन्यजीव उन बच्चों को छोड़ देते है। जो कमजोर होते है। जो जीव अपने पर्यावरण के लिए बेहतर तरीके से अनुकूलित हो और जीवित रहने और सफलतापूर्वक प्रजनन करने के लिए सबसे उपयुक्त होते हैं ऐसे जीवों को ही वन्यजीव अपने साथ रखते है। वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट जगत चतुर्वेदी ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि, अक्सर वन्यजीव उन लिटर्स या बच्चों को छोड़ देते है जिनमें कोई संक्रमण होता है। वे ऐसा इसलिए करते है ताकि संक्रमण उस लिटर्स या शावक को है वो झुंड के अन्य सदस्यों तक न पहुंचे।
यही कारण है कि मादा हाथी ने ‘सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट’ नियम का पालन करते हुए अपने जिगर के टुकड़े को उसके हाल में छोड़ दिया और हाथियों का झुंड आगे बढ़ चला। लेकिन बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने उक्त दुधमहे हाथी शावक को सहारा दे दिया है। उम्मीद है अब 4 माह के उक्त हाथी शावक को मौत का मुंह नहीं देखना पड़ेगा।
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