शरद पाठक, छिंदवाड़ा। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिला अस्पताल से एक शर्मनाक तस्वीर सामने आई है, जहां पर समयपूर्व प्रसव के कारण भर्ती एक आदिवासी महिला कड़कड़ाती ठंड में रात में जमीन पर ही तड़फती रही। मगर न तो किसी डॉक्टर ने उसे अटेंड किया न ही स्टाफ ने उसे पलंग देने की तकलीफ की।
सरकार और प्रशासन चाहे लाख दावे करे या अपनी पीठ थपथपाए, लेक़िन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। आज भी प्रदेश में गरीब वर्ग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दर-दर भटक रहा है। हम बात कर रहे है जिले के मुख्य अस्पताल की जहां वास्तविकता को झकझोर करने वाली तस्वीर नजर आई है।
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दरअसल जिले की सुदूर आदिवासी क्षेत्र दमुआ से एक महिला पूजा धुर्वे को समय पूर्व प्रसव के कारण छिंदवाड़ा जिला अस्पताल रेफर किया गया। महिला के परिजन किसी तरह से उसे एवं नवजात बच्चे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहां पर अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने उसे महिला का इलाज करना तो दूर उसे एक पलंग तक उपलब्ध कराना उचित नहीं समझा। जिसके कारण महिला एवं नवजात बच्चे को कड़कड़ाती ठंड में जमीन पर ही दरी डालकर लिटाना पड़ा उसके बावजूद भी अस्पताल का स्टाफ एवं डॉक्टर उसे देखने तक नहीं आये।
समय पूर्व प्रसव होने के कारण महिला एवं बच्चे की हालत बहुत नाजुक थी और उन्हें सघन देखभाल की आवश्यकता होने के कारण ही जिला अस्पताल रेफर किया गया था। परंतु यहां की व्यवस्थाओं के चलते दोनों की जान संकट में आ गई है। जिम्मेदार डॉक्टर भी फोन पर उपलब्ध नहीं थे ।
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