रायपुर. बागेश्वर धाम सरकार इन दिनों विवादों में हैं. नागपुर में अंध श्रद्धा उन्मूलन समिति की चुनौती के बाद बागेश्वर धाम ने चैंलेज स्वीकार किया. समिति को सवाल जवाब के लिए रायपुर आने की चुनौती भी दी थी. इन सबके बीच धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री रायपुर में आज फिर दिव्य दरबार लगाया, जहां अंधविश्वास के आरोपों का जवाब देने के लिए पत्रकारों को बुलाया.
दो निजी चैनल के पत्रकारों को अपने पास बुलाया, जिसमें एक महिला पत्रकार भी शामिल थीं. महिला पत्रकार को बाबा ने कहा कि इस सभा में आप कहीं से भी, किसी को लेकर आइये, मैं पर्ची पहले में लिख लेता हूं, जो भी होगा, उसकी समस्याएं. इस पर्ची में पहले से लिखी होगी, जिसके बाद महिला पत्रकार जिस महिला को लेकर आई थी, उनकी समस्याएं पर्ची में लिखी थी, जो सही निकली. महिला अपने बच्चे की समस्या को लेकर बिलासपुर के किसी गांव से कथा सुनने आई थी.
इस वीडियो में बागेश्वर धाम सरकार ने बताई पत्रकार के मन की बात…
वहीं इसी दौरान बागेश्वर धाम ने अचानक कहा कि क्या कोई मेरे चाचा जी का नाम बता सकता है, लेकिन सभी ने कहा कि नहीं, तभी बागेश्वर धाम ने एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल के पत्रकार के चाचा जी का नाम लिया, जिसने 2 दिन पहले ही बागेश्वर धाम का इंटरव्यू अपने चैनल के लिए लिया था.
बागेश्वर धाम ने उस पत्रकार के चाचा जी का नाम लिया और अपने पास बुलाया. इस दौरान कहा कि ये जो कह रहे हैं, मैं अंधविश्वास फैला रहा हूं, वो टकला देखे. इस दौरान बागेश्वर धाम ने लगातार उनके परिवार के सदस्याओं का नाम लेने लगे. भतीजी का नाम भी बताया.
इसके बाद बागेश्वर धाम सरकार ने पत्रकार के मन में चल रहे एक सवाल का जवाब पहले ही लिख रखा था. इसके बाद पत्रकार ने अपनी पदोन्नति को लेकर सवाल किया, जिसका जवाब उन्हें पहले ही बागेश्वर धाम सरकार ने लिख कर रखा है.
ये देखने के बाद पत्रकार खुद शॉक्ड थे और उन्हें भरी सभा में ये कहना पड़ा कि दो दिनों पहले उन्होंने बागेश्वर धाम सरकार का इंटरव्यू जरूर लिया था, लेकिन उन्होंने अपने परिवार के किसी भी सदस्य के बारे में बागेश्वर धाम सरकार को नहीं बताया था.
बात यही खत्म नहीं हुई. एक सवाल के जवाब देने के बाद बागेश्वर धाम सरकार ने पत्रकार का एक और राज खोल दिया. उन्होंने पहले से लिखी एक और पर्ची खाली उस पत्रकार को दिखाई जिसमें कमरो के संबंध में किसी बात का जिक्र था.
हालांकि ये पर्ची उन्होंने पत्रकार को भी नहीं दिया और ये पर्चा उन्हें केवल आधा पढ़ाया. लेकिन पर्चे में जो रहस्यमयी बात लिखी थी उसे देखकर पत्रकार के चेहरे का रंग उड़ चुका था.
हालांकि वो रहस्य क्या था वो सिर्फ बागेश्वर धाम सरकार और पत्रकार ज्ञानेंद्र तिवारी को ही पता है.