प्रदीप गुप्ता, पंडरिया। कबीरधाम जिले के एक बड़े हिस्सा में पहाड़ों पर निवासरत बैगा आदिवासियों के लिए अनेक योजनाएं चलाई तो जाती हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण इनका लाभ बैगाओं तक पूरी तरह से नहीं पहुंच पाता. यही कारण है कि आज भी इनकी स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं हुआ है.

ऐसा ही मामला पंडरिया ब्लॉक के सुदूर वनांचल पंचायत भेलकी के आश्रित ग्राम देवानपटपर का है, जहां के 14 बैगा आदिवासी परिवारों को चार माह से राशन नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में यह ग्रामीण कोदो-कुटकी खाकर अपना पेट भर रहे हैं. बैगा आदिवासी कई बार जिला मुख्यालय तक अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट चुके है, लेकिन इन्हें योजना का लाभ नहीं मिला.

राशन कार्ड नवीनीकरण के पहले सभी ग्रामीणों को योजना के तहत चावल मिलता रहा है. सरकार बदलने के बाद योजनाएं भी बदली तब राशन कार्ड का नवीनीकरण किया गया. इस बीच गांव के सरपंच व सचिव के पास कई बार आवेदन जमा किये लेकिन सचिव ने आवेदन आगे नहीं बढ़ाया. ग्रामीणों द्वारा शिकायत करने पर जल्द ही बन जाने का आश्वासन दिया जाता रहा, लेकिन पांच माह तक राशन कार्ड नहीं बना, जिसके कारण सोसायटी से चावल नहीं मिला.

बैगा आदिवासी मजबूरी में पांच माह तक कोदो-कुटकी खाते रहे व रोजी मजबूरी कर पैसा कमाते थे, जिससे प्राप्त पैसा से ही चावल महंगी कीमत पर खरीदते थे. ग्रामीणों की माने तो सरपंच व सचिव की लापरवाही के कारण इनके राशन कार्ड का नवीनीकरण नहीं हो पाया. कई बार सचिव के पास आवेदन जमा करने के बाद भी राशन बनवाने ध्यान नहीं दिये.

इस मामले में खाद्य विभाग के अधिकारी अरुण मेश्राम की माने तो नवीनीकरण के समय पंचायत के जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण बैगा आदिवासियों को राशन नहीं मिल पा रहा है, लेकिन उनके पास शिकायत आने के बाद तुरंत एक माह का राशन सभी बैगा आदिवासियों का देने की बात कह रहे हैं, लेकिन साथ ही जल्द ही राशन कार्ड जारी करवाने का भी दावा किया जा रहा है.