कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनायी जाती है. यानी 25 नवंबर को. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जब इस लोक से वो व्यक्ति उस लोक में जाता है तो कहते हैं कि उसे भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ में स्थान मिलता है. यह दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव के भक्तों के लिए भी पवित्र माना जाता है, क्योंकि दोनों ही देवताओं का वैकुण्ठ चतुर्दर्शी से गहरा संबंध है. ऐसा बहुत कम होता है कि एक ही दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की एक साथ पूजा की जाती है.

इस साल 25 नवंबर दिन शनिवार को शाम 05:12 मिनट से कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी, जो 26 नवंबर को रविवार के दिन दोपहर 03 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ शिव जी की पूजा करने वाले को बैकुंठ की प्राप्ति होती है. इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले रहते हैं. जो भी व्यक्ति इस दिन विष्णु जी का नाम जपता है. उसे स्वर्ग में जगह मिल जाती है. Read More – ऑलिव कलर के स्विमसूट में Monalisa ने शेयर किया Photo, 41 की उम्र में दिखाई दिलकश अदाएं …

एक पौराणिक कथा के अनुसार नारद जी के आग्रह पर भगवान विष्णु ने जय और विजय को बैकुंठ चतुर्दशी पर स्वर्ग के द्वार खुले रखने का आदेश दिया था. उदया तिथि के अनुसार 26 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी मनाना उत्तम रहेगा. इस दिन जो भी हरि स्मरण करेगा वो बैकुंठ लोक को प्राप्त करेगा. Read More – India vs Australia T20 Match : पहले मैच के दौरान JioCinema ऐप हुआ डाउन, यूजर्स होते रहे परेशान …

इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके भगवान विष्णु और भगवान शंकर का पूजा करें. इसी दिन भगवान विष्णु भगवान शिव का अराधना किए थे, इसलिए इस दिन दोनों का पूजन करना श्रेयस्कर माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु पर बेलपत्र और भगवान शिव पर तुलसी चढाने का विधान है. इस दिन दीपदान करने से घर में सुख शांति आती है.