प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजमगढ़ जिले में गांधी आश्रम पर कब्जा करने के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव की जमानत अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि वह समाज के लिए खतरा हैं.

अदालत ने कहा, ऐसा व्यक्ति कानून के शासन द्वारा शासित नागरिक समाज के लिए लगातार खतरा है. वह समाज और शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाले नागरिकों के लिए खतरा है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने आरोपी का एक लंबा आपराधिक इतिहास होने के बावजूद केवल दो मामलों में दोषी ठहराए जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, आरोपी आवेदक ने कथित तौर पर 1974 में हत्या का पहला अपराध किया था. 48 साल के दौरान और कई अपराध किए, लेकिन उसे केवल दो मामलों में दोषी ठहराया जा सका, वह भी 2022 में. यह कानून के शासन द्वारा शासित समाज के लिए शुभ नहीं है. ऐसे अपराधी का समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए.

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2019 के एक मामले में आरोपी आवेदक द्वारा जमानत की मांग करते हुए जमानत अर्जी दायर की गई थी. आरोप है कि 27 सितंबर, 2019 को आरोपी आवेदक, उसके बेटों रविकांत यादव और दिनेशकांत यादव और कई अज्ञात साथियों के कहने पर गांधी आश्रम के ताले तोड़ दिए गए और सरकारी संपत्ति और दस्तावेजों को चुरा लिया गया. नजूल भूमि पर स्थित उक्त गांधी आश्रम का निर्माण विश्व बैंक द्वारा दिए गए धन से किया गया था. सरकारी संपत्ति व दस्तावेजों को लूटने के बाद उक्त आश्रम को आरोपी आवेदक ने गुलाबी रंग से रंग दिया था. इसके बाद इमारत पर आरोपी आवेदक और उसके बेटों का कब्जा था.

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