Bakarid 2025: 7 जून को देशभर में मुस्लिम समुदाय ईद-उल-अधा, जिसे आमतौर पर बकरी ईद कहा जाता है, पूरे उत्साह और श्रद्धा से मनाएगा. यह पर्व इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने ‘धुल हिज्जा’ की 10वीं तारीख को मनाया जाता है. यह त्योहार पैगंबर हज़रत इब्राहीम की अल्लाह के प्रति अटूट आस्था और बलिदान की भावना का प्रतीक है. बकरी ईद न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, करुणा और मानव सेवा का प्रतीक भी है. देशभर में इस दिन को सौहार्द और परस्पर सहयोग की भावना के साथ मनाने की तैयारियां जोरों पर हैं.

क्या है इसका नियम

इस दिन मुस्लिम समुदाय सुबह विशेष नमाज अदा करता है, जिसे ईद की नमाज़ कहा जाता है. इसके बाद कुर्बानी दी जाती है, जो आम तौर पर बकरे या ऊंट की होती है. कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है- एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए, और तीसरा गरीबों व जरूरतमंदों के लिए. यह वितरण इस पर्व के मूल संदेश सेवा, त्याग और समानता को दर्शाता है.

समाज में भाईचारे का संदेश

ईद का एक और अहम पहलू है दावतों और सामाजिक मेलजोल का आयोजन. लोग अपने घरों में विशेष पकवान बनाते हैं जैसे बिरयानी, कोरमा, सेवइयां और मिठाइयां, और रिश्तेदारों व मित्रों को आमंत्रित करते हैं. इससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं और समाज में भाईचारे की भावना बढ़ती है.

दान करने का महत्व

साथ ही, लोग इस अवसर पर जकात (दान) और फित्रा (ईद से पूर्व गरीबों को दिया जाने वाला दान) भी देते हैं, जिससे समाज के कमजोर वर्ग भी इस खुशी में शामिल हो सकें. कई मस्जिदों, मदरसों और सामाजिक संगठनों द्वारा भोजन वितरण, कपड़े और जरूरी सामान गरीबों में बांटे जाते हैं.

इन्हें भी पढ़ें: