रायपुर। भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपनी 55 वर्षों की विकास यात्रा में प्रदेश एवं देश को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस सफर में आगे बढ़ते हुए बालको के प्रस्तावित एल्यूमिनियम स्मेल्टर विस्तार से बालको की उत्पादन क्षमता 5.70 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़कर लगभग 10.85 लाख टन प्रति वर्ष हो जाएगी.

वैश्विक महामारी कोरोना के कारण दुनिया के साथ पूरे भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट आई. निवेश पर भी विपरीत असर पड़ा. ऐसे में आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में बालको का प्रस्तावित एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता विस्तार परियोजना महत्वपूर्ण है. इससे बालको दुनिया में एक ही स्थान पर 10 लाख टन एल्यूमिनियम उत्पादन करने वाला उद्योग बन जाएगा.

एल्यूमिनियम उत्पादन क्षमता के आधार पर वर्तमान में बालको पूरी दुनिया में 34वें स्थान पर है. प्रस्तावित विस्तार क्षमता के मूर्त रूप ले लेने से बालको का दुनिया में स्थान 14वां हो जाएगा. बालको के पास वर्तमान मेें देश के बाजार का लगभग 22 फीसदी हिस्सा है. उत्पादन क्षमता के आधार पर वर्तमान में बालको देश में दूसरे स्थान पर है. क्षमता में वृद्धि से बालको ‘वन मिलियन टन क्लब’ में शामिल हो जाएगा. पहले स्थान पर वेदांता समूह की ही कंपनी है, जिसके स्मेल्टर ओडीशा के झारसुगुड़ा में स्थित है.

बालको विस्तार परियोजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार मिलेंगे. बालको से डाउनस्ट्रीम एल्यूमिनियम उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा. एल्यूमिनियम आधारित अनेक छोटे एवं मध्यम उद्योगों के विकास का लाभ कोरबा एवं छत्तीसगढ़ के नागरिकों को ही मिलेगा.

विनिवेश के बाद दो दशकों में बालको ने राज्य सरकार और प्रदेश सरकार को राजस्व का बड़ा योगदान दिया। बालको उद्योग से राज्य में हजारों करोड़ रुपए के व्यावसायिक अवसर निर्मित हुए. बालको एल्युमिनियम के अलावा बिजली का भी उत्पादन करता है, जिसके संयंत्र की क्षमता 2010 मेगावॉट है.

आधी शताब्दी के दौरान बालको ने देश की सामान्य जरूरतों के लिए धातु की आपूर्ति तो सुनिश्चित की ही, वैज्ञानिक एवं रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थित दर्ज कराई. बालको में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा सिक्योर्ड लैंड फिल है. बालको अस्पताल छत्तीसगढ़ का एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र है जहां बायो मेडिकल वेस्ट हैंडलिंग के लिए बार कोडिंग प्रणाली है.

‘शून्य क्षति, शून्य अपशिष्ट और शून्य उत्सर्जन’ नीति अनुसार बालको फ्यूम ट्रीटमेंट प्लांट (एफटीपी) जैसी आधुनिक तकनीकों के जरिए वायु की गुणवत्ता को नियंत्रित करता है. फ्लाई ऐश के निपटारे के लिए अत्याधुनिक हाई कंसंट्रेशन स्लरी डिस्पोजल सिस्टम (एचसीएसडी) का प्रयोग किया जाता है. फ्लाई ऐश का 100 फीसदी यूटिलाइजेशन फ्लाई ऐश अधिसूचना के अंतर्गत किया जाता है. टाउनशिप से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट के निपटारे के लिए सॉलिड एंड लिक्विड रिसोर्स मैनेजमेंट सेंटर (एसआरएलएम) स्थापित है, इससे जैविक अपशिष्ट को कंपोस्ट में बदलने में मदद मिलती है.

पौधारोपण और नई-नई तकनीकों की स्थापना के जरिए पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान कर रही है. हरियाली संवर्धन के लिए संयंत्र और आसपास के क्षेत्रों में साढ़े पांच लाख पौधे रोपे गए हैं. स्मेल्टर के प्रचालन में जल का 100 फीसदी रीसाइकल सुनिश्चित किया गया है. बालको के सामुदायिक विकास कार्यों का दायरा विस्तारित होगा. वर्तमान में बालको के सामुदायिक विकास परियोजनाओं के दायरे में छत्तीसगढ़ प्रदेश के 117 गांव शामिल हैं.

अपनी 55 वर्षों की औद्योगिक यात्रा में बालको ने छत्तीसगढ़ राज्य और देश की प्रगति में हरसंभव योगदान दिया है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बालको मेडिकल सेंटर संचालित है जो मध्यभारत का सबसे बड़ा कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र है. इस केंद्र में कैंसर उपचार की अत्याधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं. प्रदेश के बीपीएल परिवारों के बेरोजगार युवाओं को वेदांत आईएलएंड एफएस स्किल स्कूल में औद्योगिक सिलाई, वेल्डिंग, बिजली मिस्त्री, फीटर एवं आतिथ्य सत्कार आदि का प्रशिक्षण दिया जा है. प्रशिक्षण के बाद युवा विभिन्न उद्योगों एवं प्रतिष्ठानों में सेवाएं दे रहे हैं. अब तक लगभग 9000 युवा प्रशिक्षित हो चुके हैं.

बालको ने देखने, बोलने और सुनने में अक्षम तथा मानसिक निःशक्त बच्चों के लिए कोरबा में वेदांत थैरेपी एंड रिहैब्लिटेशन सेंटर स्थापित किया है. केंद्र में जरूरतमंद बच्चों की फिजियोथैरेपी, स्पीच थैरेपी, बिहैवियर थैरेपी तथा वर्क थैरेपी आदि की सुविधाएं उपलब्ध है. यह सेंटर पूर्णतः गैर लाभकारी उद्देश्य से संचालित है.

परियोजना जलवायु परिवर्तन का उद्देश्य सतही जल का समुचित प्रबंधन और कृषि का सतत विकास है. लगभग 650 एकड़ भूमि सिंचाई के दायरे में शामिल हुए. सामुदायिक विकास परियोजना के अंतर्गत जरूरतमंद विद्यार्थियों के लिए ‘परियोजना कनेक्ट’ संचालित है. यह परियोजना ऐसे विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जो महंगी कोचिंग या ट्यूशन नहीं ले सकते. इसके माध्यम से विशेषकर ठेका कामगारों के बच्चों को निःशुल्क कोचिंग दी जा रही है.

बालको ने कोरबा स्थित दिव्य ज्योति छात्रावास परिसर में दृष्टिहीन और श्रवणबाधित युवाओं के लिए राज्य का पहला कौशल प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ किया है. वर्ष 2019 से ‘वेदांता कॉलेज एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर फॉर डेफ एंड ब्लाइंड’ का संचालन इनरव्हील एजुकेशन सोसाइटी कर रही है. केंद्र में दिव्यांग युवा ब्यूटीशियन, हॉस्पिटैलिटी, कंप्यूटर और सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. दिव्यांग युवाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में ‘वेदांता कॉलेज एंड रीहैबिलिटेशन सेंटर फॉर डेफ एंड ब्लाइंड’ महत्वपूर्ण साबित हो रहा है.

कोरबा के ग्राम चुईया और परसाभाठा में वेदांत ग्रामीण चिकित्सालय स्थापित है. इस केंद्र में मातृ-शिशु स्वास्थ्य संरक्षण के लिए टीकाकरण, शिशुओं की सर्दी, खांसी, न्यूमोनिया तथा श्वसन संबंधी तकलीफों के लिए न्युबुलाइजर की सुविधा है. शिशुओं के कुपोषण जनित व्याधियों की चिकित्सा के साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए दवाइयों का निःशुल्क वितरण किया जाता है.

महिला स्वावलंबन और सशक्तिकरण की दिशा में बालको का बड़ा योगदान है. बालको प्रबंधन ने अपने सामुदायिक विकास कार्यक्रम की ‘परियोजना उन्नति’ के अंतर्गत स्व सहायता समूहों का गठन किया है. ये स्व-सहायता समूह सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, कलाकृति निर्माण जैसे अनेक रचनात्मक कार्यों से संबद्ध हैं. परियोजना उन्नति’ के अंतर्गत बालकोनगर में मशरूम स्पॉन उत्पादन इकाई एवं रिसोर्स सेंटर स्थापित है. यह कोरबा जिले का पहला ऐसा केंद्र है जहां स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके साथ ही विभिन्न प्रजातियों के मशरूम के स्पॉन तैयार किए जा रहे हैं.