डिलेश्वर देवांगन,बालोद। रक्षाबंधन त्योहार में अब तक आपने चाइनीज राखियों से सजा बाजार देखा होगा. अब छत्तीसगढ़ के बालोद जिले की महिलाओं की बनाई गई देसी राखियां बाजार में छाई हुई है. अभी तक आपने विभिन्न प्रकार की राखियां देखी होगी, लेकिन इस बार आपको सब्जियों के बीज और धान से बनी राखियां भी मिल जाएंगी. क्योंकि देसी राखियों से पर्यावरण को कोई नुकसान भी नहीं है और मध्यम वर्ग के लोगों की इससे फायदा भी पहुंचेगा.

दरअसल 22 अगस्त को रक्षाबंधन है. इसके मद्देनजर राखियों का बाजार भी सजने लगा है. इस साल राखी का पर्व जिले की 35 महिलाओं के लिए खास होने वाला है. भाई बहन के पवित्र त्यौहार में प्रशासन की दखल अब महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूती देने का जरिया बनी हुई है. जो महिलाएं घर की चार दीवारी तक सीमित रह जाती थी. आज उन्हीं महिलाओं से घर चल रहा है.

बालोद जिले के 13 महिला स्व सहायता समूह से जुड़ी करीब 35 महिलाएं इन दिनों अपने परिवार का गुजारा कर रही है. महिलाओं को प्रशासन की ओर से सब्जी के बीज, धान और बांस से राखी बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. जिसके बाद वह राखी भी बना रही है और अपना परिवार भी चला रही हैं. बालोद जिले की महिलाओं के द्वारा बनाई गई राखी न केवल बालोद जिले में, बल्कि जिलों में भी इसकी दिमांड बढ़ने है.

महिला स्व सहायता समूह खुटेरी की सदस्य लता साहू बताती हैं कि बीते वर्ष राखी बनाने वाली महिलाओं को 1 लाख से अधिक का मुनाफा हुआ है. जिसके बाद इस बार और वृहद मात्रा में राखी तैयार कर रहे हैं. महिलाएं केवल राखी बनाती है और राखी तैयार होने के बाद जिला प्रशासन की टीम महिला समूह के पास दस्तक देती हैं और राखियों को ले जाती है. जैसे ही राखियां बिकती है, तो महिलाओं तक उनका पैसा पहुंच जाता है.

राखी बनाने वाली हेमेश्वरी साहू कहती है कि रक्षाबंधन का पर्व नज़दीक आने पर जिला प्रशासन बालोद बंधन नाम से एक विशेष बाजार संचालित करती है. जहां जिले की महिलाओं द्वारा बनाई गई राखियों की बिक्री होती है. वहीं बालोद बाजार के नाम से स्व सहायता समूह द्वारा बनाये गए सामानों में राखी को भी शामिल कर बेचा जाता है.

कलेक्टर जन्मेजय महोबे का कहना है कि महिलाओं को बीते वर्ष लाखों रुपए राखी बनाने से प्राप्त हुआ है. इस बार जिला प्रशासन की ओर से महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने पिछले साल से अधिक महिलाओं को जोड़ा है. जिसको लेकर प्रशासन ने 2 माह पहले तैयारी पूरी कर ली थी. परिणाम यह रहा कि पिछले बार से अधिक महिलाएं रखी बना रही है और आय अर्जित कर रही है.

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