सत्यपाल सिंह,रायपुर। कोरोना वायरस से तड़प रहे मरीज और परिजनों की चीखें अभी कोई नहीं भूला है. छत्तीसगढ़ में एक के बाद एक हजारों मरीज की कोरोना से मौत हुई है. कोरोना से जंग में रियल हीरो रहे डॉ. शैलेन्द्र साहू ने कम उम्र में ही अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही वो रोजाना मरीजों का इलाज कर रहे थे. अब कोरोना वायरस ने उनकी ही जान ले ली. वो जिंदगी की जंग हार गए.
डेडीकेटेड कोविड अस्पताल बलौदाबाजार के प्रभारी और आईसीयू इंचार्ज रहे डॉ. शैलेंद्र साहू (35 वर्ष) की 18 जुलाई की रात कोरोना से मौत हो गई. वो बिना किसी लक्षण के कोरोना पॉजिटिव पाए गए. डॉ. साहू की देखरेख में ही बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में सर्वसुविधायुक्त डेडिकेटेड कोविड अस्पताल का निर्माण किया गया था. इस एडवांस डेडिकेटेड कोविड अस्पताल की जिम्मेदारी भी वे स्वयं ही निभा रहे थे.
इस अस्पताल में जो भी मरीज भर्ती हुआ और स्वस्थ होकर घर वापस गया, वो जरूर बोला कि इस अस्पताल की सेवाएं और सुविधाएं बेहतरीन अस्पतालों जैसी है. डॉ. शैलेन्द्र साहू अस्पताल में भर्ती हर एक कोविड मरीज़ का ध्यान खुद रखते थे. गंभीर मरीजों का इलाज वे स्वयं उपस्थित होकर निडरता के साथ किया करते थे. साथ ही 24 घंटे अपने स्टॉफ को मरीज़ों के इलाज के लिए मार्गदर्शन भी दिया करते थे.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला का कहना है कि डॉ. शैलेंद्र साहू एक बेहतरीन चिकित्सक थे. बलौदाबाज़ार के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में उन्होंने न जाने कितने गम्भीर मरीजों की जान बचाई है. वे हम सब लोगों के लिए प्रेरणा थे. एक चिकित्सक के कर्तव्य के साथ-साथ मानवता से जुड़े कर्तव्यों का भी निर्वहन उन्होंने सर्वश्रेष्ठ ढंग से किया. इस कोरोना काल में खुद के बारे में न सोचते हुए 24 घंटे सेवा देने वालों की सूची में उनका नाम अग्रणी रहेगा. उनका इस तरह जाना बेहद दुःखद है. ईश्वर उनके परिवार को इतनी बड़ी क्षति को सहने की शक्ति दे.
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. खेमराज सोनवानी ने बताया कि डॉ. साहू निडर होकर 24 घंटे बिना छुट्टी लिए, बिना अपने परिवार के साथ त्योहार मनाए कोरोना मरीज़ों की सेवा में लगे रहते थे.
डॉ. शैलेन्द्र साहू के नेतृत्व में बलौदाबाजार के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में 3 हजार से अधिक लोगों ने कोरोना से जंग जीता है. हर डॉक्टर का सपना होता है कि वह किसी तरह पीजी डिग्री लेकर सर्जन या दवा विशेषज्ञ बनकर समाज की सेवा करें. लेकिन डॉ. साहू ने कोरोना संकट काल में इस सपने को त्याग कर अपने ज्ञान और अनुभव को लोगों की जान बचाने में लगाया. सलाम है ऐसे चिकित्सक को जिन्होंने खतरों के बीच पूरी ईमानदारी और निडरता के साथ दिन-रात एक कर अपनी सेवाएं दीं और अनेक मरीजों की जान बचाई.
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