अरविंद मिश्रा, बलौदाबाजार। नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार जायसवाल ने आरोपी को 20 वर्ष के कठोर कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। यह फैसला सुहेला थाना क्षेत्र के ग्राम अमेरी में हुई घटना के संबंध में आया, जहां आरोपी ने पीड़िता की इच्छा के खिलाफ उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी।

मामले की पैरवी विशेष लोक अभियोजक संजय बाजपेयी ने की, जबकि जांच तत्कालीन सुहेला थाना प्रभारी लखेश केंवट और सहायक विवेचक पवन कुमार सिन्हा ने संयुक्त रूप से पूरी की।

बता दें कि घटना 14 मार्च 2024 की है, जब 16 वर्ष 5 माह की नाबालिग पीड़िता अपने घर में अकेली थी। उसने पुलिस को अपनी शिकायत में बताया कि उसके माता-पिता काम के सिलसिले में पुणे, महाराष्ट्र गए हुए थे। घर पर वह, उसका बड़ा भाई और छोटी बहन रहते थे। उस दिन सुबह, पीड़िता का भाई काम पर गया था और छोटी बहन स्कूल चली गई थी। सुबह करीब 10:30 बजे, पीड़िता तालाब से नहाकर लौटी और अपने कमरे में तैयार हो रही थी। तभी गांव का ही भूपेंद्र वर्मा अचानक उसके घर में घुस आया। उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और पीड़िता के साथ जबरदस्ती की। उसने पीड़िता को जमीन पर गिराकर दुष्कर्म किया।

जब पीड़िता ने विरोध किया, तो आरोपी ने उसके साथ मारपीट की और उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को बताया तो वह उसे जान से मार देगा। इसके बाद भूपेंद्र मौके से फरार हो गया। इसके बाद पीड़िता ने साहस दिखाते हुए सुहेला थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल आरोपी भूपेंद्र वर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (भादंवि) की धारा 454 (घर में अनधिकृत प्रवेश), 342 (अवैध बंधन), 323 (मारपीट), 376 (बलात्कार), 506 (आपराधिक धमकी) और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 व 6 के तहत मामला दर्ज किया।

जांच के दौरान पुलिस ने गवाहों के बयान दर्ज किए, घटनास्थल का मुलाहिजा लिया, आवश्यक साक्ष्य जप्त किए और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। तत्कालीन थाना प्रभारी लखेश केंवट और सहायक विवेचक पवन कुमार सिन्हा ने साक्ष्यों को मजबूत करते हुए चालान कोर्ट में पेश किया।

20 वर्ष का कठोर कारावास और अर्थदंड की सजा

मामले की सुनवाई भाटापारा के अपर सत्र न्यायालय में हुई। विशेष लोक अभियोजक संजय बाजपेयी ने अभियोजन पक्ष की ओर से मजबूत पैरवी की। सुनवाई के दौरान सभी गवाहों के बयान दर्ज किए गए और साक्ष्यों का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया गया। अंतिम बहस में संजय बाजपेयी ने तर्क दिया कि इस तरह के जघन्य अपराधों के लिए कठोर सजा आवश्यक है ताकि समाज में ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। अपर सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार जायसवाल ने प्रकरण की गंभीरता, अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के बयानों का गहन विश्लेषण किया। इसके आधार पर भूपेंद्र वर्मा को पॉक्सो एक्ट समेत अन्य धाराओं के तहत 20 वर्ष का कठोर कारावास और 500 रुपये का अर्थदंड की सजा सुनाई है।

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