रायपुर. 24 साल के इतिहास में पहली बार छत्तीसगढ़ के किसी जिले में कलेक्टर-एसपी कार्यालय को उग्र भीड़ ने जलाकर फूंक डाला. प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा. उग्र भीड़ सब कुछ तहस-नहस करती रही. हालात बेकाबू होते देर नहीं लगी. कलेक्टर-एसपी कार्यालय में खड़ी गाड़ियों पर भी भीड़ कहर बनकर टूटी. सैकड़ों गाड़ियां जलाकर खाक कर दी गई. नाराज सतनामी समाज की उग्र भीड़ ने जमकर पत्थर बरसाए. इस घटना में दर्जन भर से ज्यादा लोग चोटिल हो गए हैं.

15 मई की रात सतनामी समाज के सबसे बड़े तीर्थ स्थल कहे जाने वाले गिरौदपुरी धाम के करीब मानाकोनी बस्ती की बाघिन गुफा में लगे धार्मिक प्रतीक चिन्ह जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने की घटना इस अंजाम तक पहुंचेगी, इसकी कल्पना भी प्रशासन ने नहीं की थी. जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने की घटना के बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. समाज ने कहा कि जेल भेजे गए लोग असली आरोपी नहीं है. समाज ने सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन तेज कर दिया था. इतनी बड़ी घटना के बाद अब सरकार इसके पीछे की वजह तलाश रही है, मगर सवाल उठ रहा है कि एक समाजिक आंदोलन आखिर कैसे हिंसक आदोलन में तब्दील हो गया? इस हिंसक आंदोलन को किसने हवा दी?

जैतखाम को क्षतिग्रस्त किए जाने के बाद से अब तक आक्रोशित समाज के भीतर चल रही हलचल को आंकने की चूक आखिर प्रशासन ने कैसे कर दी? हिंसक आंदोलन के बाद अब सवाल कलेक्टर-एसपी की भूमिका पर भी उठाए जा रहे हैं. उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो सरकार कलेक्टर-एसपी को लेकर जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है.

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कलेक्टर-एसपी को अंदेशा तक नहीं

छह हजार से ज्यादा लोग प्रदर्शन में शामिल थे. जैतखाम क्षतिग्रस्त करने के बाद समाज के आक्रोशित लोगों की इतनी बड़ी भीड़ जुटी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. प्रशासन को लगा कि यह सामान्य प्रदर्शन होगा. प्रदर्शन में ही भीड़ आक्रोशित हो गई और कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने निकल पड़ी. जिले के एसपी सदानंद कुमार ने मीडिया से बातचीत में बताया कि समाज के लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन की अनुमति मांगी थी. प्रदर्शन के दौरान ही अचानक हंगामा शुरू हो गया. लोग बेकाबू हो गए. आगजनी और पत्थरबाजी शुरू हो गई. पुलिस की बैरिकेटिंग तोड़कर भीड़ कलेक्टर कार्यालय पहुंच गई और भवन को आग लगा दिया.

केएल चौहान जहां रहे विवादों से रहा नाता

बलौदाबाजार जिला संवेदनशील जिला माना जाता है. ऐसे संवेदनशील जिले में के एल चौहान की तैनाती अब सवालों में है. के एल चौहान जहां पदस्थ रहे उनका विवादों से नाता रहा. केशकाल में एसडीएम पद पर रहते हुए स्थानीय लोगों की नाराजगी का शिकार हुए. एक विवाद में लोगों ने उनकी पिटाई कर दी थी. भिलाई नगर निगम में आयुक्त रहने के दौरान सरकार ने डेंगू से 42 लोगों की मौत का जिम्मेदार मानते हुए उन्हें हटा दिया. कांकेर में कलेक्टरी के दौरान पत्रकारों पर की गई अभद्र टिप्पणी के एक मामले में पिछली सरकार ने उनकी कलेक्टरी छिन ली. भाजपा सरकार में उन्हें पहले सारंगढ़ और बाद में बलौदाबाजार का कलेक्टर बनाया. बलौदा बाजार जिले के एसपी सदानंद की नारायणपुर पदस्थापना के दौरान आदिवासियों के एक उग्र प्रदर्शन में गंभीर रूप से चोटिल होना पड़ा था. यह इत्तेफाक है कि नारायणपुर में आदिवासी और बलौदा बाजार में अब सतनामी समाज की उग्र भीड़ का सामना करना पड़ा.

अब तक क्या हुआ?

  • 15 मई को गिरौदपुरी धाम के करीब बाघिल गुफा में लगे धार्मिक प्रतीक चिन्ह जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया.
  • 16 मई को इस घटना की सूचना मिलते ही समाज के भीतर आक्रोश पनपने लगा.
  • 17 समाज के विरोध के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की.
  • 19 मई को समाज ने चक्काजाम कर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग तेज कर दी.
  • 19 मई को ही पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों की गिरफ्तारी की और बताया कि तीनों आरोपी ठेकेदार के पैसे नहीं देने से नाराज थे. नल जल योजना के ठेके में ठेकेदार आरोपियों को तय राशि के ऐवज में कम भुगतान कर रहा था. इससे नाराज मजदूरों ने शराब के नशे में जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया.
  • 20 मई को समाज ने बैठक की और गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों को लेकर कहा कि समाज की नाराजगी देखते हुए पुलिस ने गलत लोगों को पकड़ा है. बैठक में समाज ने आंदोलन की रुपरेखा तय की.
  • 21 मई को समाज ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की.
  • 8 जून को कलेक्टर ने शांति समिति की बैठक बुलाई. इस बैठक में आंदोलन वापस लेने की अपील की गई.
  • 10 जून को उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश के बाद पूरे मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की घोषणा की.
  • 10 जून को ही सतनामी समाज ने जिला प्रशासन की अनुमति से एक दिवसीय प्रदर्शन किया. इस प्रदर्शन में छह हजार से ज्यादा लोग जुटे. प्रदर्शन के दौरान भीड़ उग्र हो गई. उग्र भीड़ ने कलेक्टर-एसपी कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ की और आग लगाकर फूंक डाला.

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