सुदीप उपाध्याय, बलरामपुर। प्रदेश के अंतिम छोर में बसे बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर विकासखंड में 4 माह से एसडीओपी का पद रिक्त है. वहीं उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश की सरहदों से लगा वाड्रफनगर का एक मात्र पुलिस चौकी प्रभारी का पद भी पिछले 2 माह से खाली है. वाड्रफनगर चौकी एएसआई के भरोसे चल रहा है. जिले के एसपी व पुलिस के आला अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे. वहीं अपराध, अवैध रेत, गिट्टी, कोयला का काम धड़ल्ले से जारी है. पर्याप्त स्टॉफ नहीं होने से आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है.

अतिरिक्त प्रभार दिया

इस संबंध में एसपी रामकृष्ण साहू ने कहा कि हमने वाड्रफनगर एसडीओपी का प्रभार जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रशांत कतलम को सौंपा है. वहीं वाड्रफनगर पुलिस चौकी के लिए बसंतपुर थाना प्रभारी के अधीनस्थ रहकर उनके मार्गदर्शन में कार्य करने का आदेश जारी किया है. हालांकि वैकल्पिक रूप से वाड्रफनगर एसडीओपी पद के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को प्रभार दिया गया है. लेकिन जिले में उन्हें भी कई काम रहते हैं. जिसके कारण उनका आना-जाना वाड्रफनगर काफी कम हो पाता है.

बलरामपुर जिले की बात की जाए तो जिले में निरीक्षक उप निरीक्षक व सहायक उपनिरीक्षक से लेकर आरक्षकों की काफी कमी है. हालांकि इस मामले में एसपी कैमरे के सामने बोलने से पीछे हटते दिखे, लेकिन राज्य सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि अपराध पर अंकुश लगाया जा सके.

बता दें कि पिछले दिनों महिला विवेचना के मामले में कोताही बरतने के खिलाफ वाड्रफनगर एसडीओपी धुर्वेश जायसवाल को निलंबित कर दिया गया था. लेकिन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उन्हें तत्काल बहाल करने का आदेश दिया है. निलंबन आदेश के विरुद्ध दुर्वेश जायसवाल के अधिवक्ता अभिषेक पांडे एवं लक्ष्मण कश्यप के माध्यम से हाई कोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई थी. क्योंकि धुर्वेश जायसवाल का मूल पद उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) है. जो राजपत्रित अधिकारी की श्रेणी में आता है एवं उक्त पद का नियुक्ति कर्ता अधिकारी सचिव गृह (पुलिस) विभाग है.

पुलिस महानिदेशक डीजीपी रायपुर द्वारा दुर्वेश जायसवाल को निलंबन आदेश जारी करने के 90 दिन के भीतर सचिव गृह विभाग द्वारा धुवेश जायसवाल को आरोप पत्र जारी किया जाना था. लेकिन सचिव गृह विभाग द्वारा निलंबन आदेश के 90 दिन के भीतर आरोप पत्र जारी न कर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियम) 1968 नियम (9) (5)(a) का उल्लंघन किया गया है. जिसके तहत डीएसपी धुर्वेश निलंबन से बहाली के पात्र हैं. और उन्हें तत्काल बहाल किए जाने का आदेश उच्च न्यायालय द्वारा किया गया है.