पुष्पलेश द्विवेदी, सिंगरौली। मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के 33 गांवो को जोड़ते हुए चितरंगी से प्रयागराज नेशनल हाईवे का सर्वे पूरा हो चुका है। वहीं भू माफिया और मुआवजा राशि पानी वाले लोगों ने बड़ी ही चालाकी से यहां पर करीब 2500 घर बनवा दिए। जबकि वहां घर बनाने पर पाबंदी थी। ऐसे में कलेक्टर ने मुआवजा राशि देने से साफ इंकार किया है।
दरअसल, सिंगरौली जिले से प्रयागराज को जोड़ने वाली लगभग 70 किलोमीटर से ज्यादा की हाईवे चितरंगी और दुधमनिया तहसील के 33 गांवो की जमीन हाईवे में फस रही है। वहीं अधिग्रहण की सूचना मार्च में जारी हुई थी। इसके बाद जमीन की खरीद फरोप और नामांतरण पर प्रशासन द्वारा रोक लगा करके बाकायदा एलाउंसमेंट और जगह-जगह पोस्टर चिपकाया गया है। जिसमें लिखा ‘अब यह जमीन नहीं खरीदी जा सकती है। इस जमीन पर मकान नहीं मनाए जा सकते हैं। फिर भी दोनों तहसीलों के गांव में एक महीने में लगभग 25 सौ से ज्यादा मुआवजा घर बनकर खड़े हो गए हैं।
किसानों ने पैसे की कमी से निपटने के लिए मुआवजे का दूसरा गणित निकाल लिया है। लोग बताते हैं कि इसके लिए किसान बाकायदा स्टांप पेपर पर दूसरे राज्य के लोगों से निर्माण के आवास में 80% एवं 20% मुआवजा राशि देने का करार कर रहे हैं। इसकी शिकायत एनएचआई पीडब्ल्यूडी के पास पहुंची है। वहीं प्रशासन भी यह चीज मानते हैं कि सर्वे पूरा होने के बाद भी बड़ी संख्या में घरों का निर्माण हुआ है।
बतादें कि, सिंगरौली जिले में कंपनियों का हब एवं कंपनियों से संचालित हब माना जाता है। यहां इससे पहले भी मुआवजे को लेकर एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह का सिर्फ इतना ही काम रहता है कि जब कोई दूसरे राज्य से लोग यहां आकर जिस भी इलाके में कंपनी, सड़क या प्रशासन द्वारा भूमि अधिग्रहण करके कंपनियां अपने खुद के प्लांट संचालित करने वाली रहती है तो यह गिरोह उससे पहले ही यहां के आदिवासी परिवारों से जमीन ले लेती है। फिर मुआवजा की राशि पाने के लिए मकान चंद दिनों में कई मंजिलें खड़ा कर देते हैं।
ऐसा ही मामला चितरंगी के भडकुड गांव का है। जहां पर नेशनल 135 सी हाईवे सड़क निकल रही है। यह सड़क 700 करोड़ 40 लाख की लागत से 70 किलोमीटर बननी है। उससे पहले ही मुआवजा पाने की नियत से वहां पर रातों-रात 2500 ज्यादा मकान खड़े कर दिए हैं। एसडीम सुरेश जाथव इस बात को खुद मानते हैं कि सर्वे होने के बावजूद भी मुआवजे पाने की नीयत से कई मकान खड़े कर दिए हैं। लेकिन चितरंगी एसडीम सुरेश जाथव का सख्त निर्देश है कि जो भी सर्वे के बाद मकान बने हैं उन मकानों को जमींदोज कराया जाएगा। इसके साथ जा उन्हें मुआवजे से बाचित किया जाएगा।
लिहाजा जो भी हो लेकिन सिंगरौली जिले में भू माफिया एवं मुआवजा राशि पानी वाले लोग भारी संख्या में सक्रिय है। इससे कहीं ना कहीं प्रशासन को काफी बड़ा नुकसान भी होता है। लोग तो यहां तक भी बताते हैं कि कहीं ना कहीं इसमें बड़े लेवल में कुछ न कुछ तो गड़बड़ ही होता है।
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