राकेश चतुर्वेदी, बुरहानपुर। उपचुनाव के बीच केला उत्पादक किसान लामबंद हो गए। किसानों ने राज्य सरकार से केला बीमा देने की मांग है। उपचुनाव की वोटिंग से दो दिन पहले किसानों का लामबंद होना राज्य की शिवराज सरकार के लिए नई खतरे की घंटी है।
2018 में केले की फसल बर्बाद होने पर किसानों को केला बीमा योजना का लाभ मिला था। केला बीमा योजना राज्य में दो साल से बंद है। योजना बंद होने पर किसानों ने कहा कि महाराष्ट्र केला का बीमा होता है तो मध्यप्रदेश में क्यों नहीं हो रहा है।
बता दें कि खंडवा लोकसभा के बुरहानपुर जिले में केले की बंपर खेती होती है। केले की फसल हाईरिस्क क्रॉप है। हाईरिस्क क्रॉप होने से बीमा देने की मांग कर रहे हैं। बुरहानपुर में 50 हजार एकड़ में केले की खेती होती है। जिले के 20 हजार किसान केले की खेती करते हैं। केले की खेती से एक लाख मजदूर जुड़े हुए हैं।
जानिए क्यों इसे हाईरिस्क क्रॉप में रखा गया है
सीएमवी वायरस से केले की खेती ज्यादा बरबाद होती है। ओला-पाला से भी केले की फसल हो खराब हो जाती है। इसके अलावे चार दिन पानी न मिलने पर भी केले की खेती बरबाद हो जाती है। आंधी-तूफान से खेत में ही केले के कोमल पौधे लेट जाते हैं।
केले का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करने की मांग
किसानों ने राज्य सरकार से केले का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करने की मांग की है। न्यूनतम समर्थन मूल्य एक हजार रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग किसान कर रहे हैं। चंडीगढ़, श्रीनगर, यूपी के साथ अरब देशों तक बुरहानपुर का केला निर्यात होता है। अच्छी फसल हो तो एक एकड़ में नि300 क्विंटल केला निकलता है।