पवन दुर्गम, बीजापुर। जिले के 4 विकासखंडों में 14-15वें वित्त राशि में बंदरबांट की शिकायत सही पाए जाने पर कलेक्टर केडी कुंजाम ने भुगतान पर तत्काल रोक लगा दी है. इसके साथ ही राशि की वसूली करने और थाने में एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. दरअसल, ग्राम पंचायतों में सामाग्री खरीदी के बिल स्थानीय टेंडर संजय जैन के द्वारा एडवांस देकर प्रस्ताव मंगाये जा रहे थे. जिसमें स्थानीय ठेकेदार, फार्म और जिला पंचायत सीईओ की भूमिका और संलिप्ता बताई गई थी. सीईओ जिला पंचायत ने तमाम आरोपों को बेबुनियाद और झूठा करार दिया है.
6 मई 2020 को जारी पत्र में स्पष्ठ किया है कि 1 अप्रैल 2020 से 14-15वें वित्त आयोग अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायतों को प्राप्त होने वाली राशि का 50 फीसदी निम्न कार्यों में व्यय करने की अनुशंसा की गई है. जिसमें 1-पेयजल व्यवस्था, 2-स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, 3- लघु-सिंचाई, 4- सामुदायिक प्रणाली का रखरखाव.
कलेक्टर बीजापुर ने पत्र के माध्यम से स्पष्ठ लिखा है कि कई ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों के द्वारा उपरोक्त मद में राशि व्यय न करते हुए क्रिकेट किट, स्पोर्ट्स किट, फोटोकॉपी मशीन इत्यादि में अनावश्यक व्यय कर शासकीय धन का दुरुपयोग कर रहे हैं.
इस आदेश के माध्यम से कलेक्टर ने जनपद पंचयय एवं ग्राम पंचायतों का 14-15वें वें वित्त आयोग योजना के तहत जारी की गई राशि को तत्काल रोक लगाई है, और जिन जनपद पंचायतों और ग्राम पंचायतों के द्वारा शासकीय धन का दुरुपयोग किया है, उनसे राशि की वसूली करने के साथ-साथ उनके विरुद्ध पुलिस थाने में प्रथम सूचना ( FIR) दर्ज कराते कलेक्टर कार्यालय को अवगत कराने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बीजापुर को पत्र जारी किया गया है.
मामले का खुलासा होने के बाद कांग्रेस व भाजपा के नेताओं ने भी तेवर कड़े कर दिए है. कांग्रेस नेता अजय सिंह ने लल्लूराम.कॉम से चर्चा में बताया कि राशि की हेरा फेरी मामले पर मैंने कलेक्टर को शिकायत की है. कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लेकर 14-15वें वित्त की आहरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. और अपने आदेश में कहा कि जहां भी जिस पंचायत में 14वें वित्त की राशि का दुरुपयोग हुआ है. वसूली कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर अवगत कराएं. इससे साफ होता है कि प्रशासन ने माना कि गड़बड़ी हुई है या होने की संभावना थी.
भाजपा जिलाध्यक्ष श्रीनिवास मुदलियार ने कलेक्टर के आदेश को सही माना है. बड़े भ्रस्टाचार को रोकने और प्राथमिकी दर्ज कराया जाना अनिवार्य है. किसी अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायतों के हक को मारना न्यायोचित नहीं है.