Khaleda Zia Passes Away: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन हो गया है। बांग्लादेश की पूर्व पीएम ने 80 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख और बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री ने ढाका के एवरकेयर हॉस्पिटल में आज सुबह 6 बजे अंतिम सांस ली। उनके परिवार और पार्टी नेताओं ने निधन की पुष्टि की है।
खालिदा पिछले कई साल से सीने में इन्फेक्शन, लिवर, किडनी, डायबिटीज, गठिया और आंखों की परेशानी से जूझ रहीं थीं। वे 20 दिन से वेंटिलेटर पर थीं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने खालिदा उनके निधन की पुष्टि की। बीएनपी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा है कि डॉक्टर्स ने कुछ ही समय पहले उन्हें मृत घोषित किया है। खालिदा जिया ने सुबह 6 बजे आखिरी सांस ली। लंबे समय से बीमार चल रही थीं और ढाका के एवर केयर हॉस्पिटल में उनका उपचार चल रहा था। बीएनपी की सोशल मीडिया पोस्ट के मुताबिक 29-30 दिसंबर की रात पूर्व पीएम खालिदा की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। खालिदा की हालत बिगड़ते देख उपचार के लिए विदेश ले जाने की भी तैयारी थी। कतर से एक विशेष विमान भी ढाका पहुंच गया था। इस विमान को ढाका एयरपोर्ट पर स्टैंडबाई में रखा गया था। मेडिकल बोर्ड ने खालिदा जिया को ढाका के केयर हॉस्पिटल से लंदन के लिए उड़ान भरने की इजाजत नहीं दी।

कल ही चुनावी नामांकन दाखिल किया था
खालिदा जिया ने सोमवार को ही चुनावी नामांकन दाखिल किया गया था। कल दोपहर करीब तीन बजे पार्टी के सीनियर नेता बोगुरा-7 सीट से उनका नामांकन पत्र जमा करने के लिए डिप्टी कमिश्नर और रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर पहुंचे थे। उस समय यह साफ हो चुका था कि खालिदा जिया की तबीयत बेहद नाजुक है। वे अस्पताल में भर्ती थीं और वेंटिलेटर पर थीं। इसके बावजूद BNP ने फैसला किया कि खालिदा जिया चुनाव लड़ेंगी। बोगुरा-7 सीट का BNP के लिए खास महत्व है। इसी इलाके में पार्टी के संस्थापक और खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान का घर रहा है। खालिदा जिया ने तीन बार 1991, 1996 और 2001 में इसी सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री पद संभाला था।

दो बार रहीं बांग्लादेश की पीएम
खालिदा जिया दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं। उन्होंने पहली बार 1991 से 1996 और दूसरी बार 2001 से 2006 तक देश का नेतृत्व किया। वह पूर्व राष्ट्रपति और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के संस्थापक जियाउर रहमान की पत्नी थीं। उनके बड़े बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारीक रहमान 2008 से लंदन में रह रहे थे और इसी महीने बांग्लादेश लौटे थे। उनके छोटे बेटे अराफात रहमान का 2015 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। राजनीतिक उथल-पुथल के बीच 6 अगस्त 2024 को खालिदा जिया को जेल से रिहा किया गया था। इसके बाद वह बेहतर इलाज के लिए लंदन चली गईं थीं, जहां चार महीने रहने के बाद 6 मई को बांग्लादेश वापस लौट आईं थी।

बांग्लादेश को आजाद कराने वाले रहमान की पत्नी हैं खालिदा जिया
खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ था। उनका राजनीति से कोई पारिवारिक संबंध नहीं था। 1960 में उनकी शादी सैनिक अधिकारी जियाउर रहमान से हुई। 1971 में बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान जियाउर रहमान ने रेडियो पर स्वतंत्र बांग्लादेश की घोषणा पढ़ी थी। 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी और 1977 में जियाउर रहमान राष्ट्रपति बने। उन्होंने ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 30 मई 1981 को चिटगांव में एक सैन्य विद्रोह के दौरान उनकी हत्या कर दी गई। पति की हत्या के बाद BNP बिखरने लगी, जिसके बाद पार्टी नेताओं के आग्रह पर खालिदा जिया ने 1984 में पार्टी की कमान संभाली। 1991 में हुए पहले लोकतांत्रिक चुनाव में जीत के साथ वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। खालिदा जिया के निधन को बांग्लादेश की राजनीति के एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है।

शेख हसीना की विरोधी थीं खालिदा जिया
बांग्लादेश की राजनीति दो नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती रही है, जिसमें एक अवामी लीग की नेता शेख हसीना हैं और दूसरी BNP की खालिदा जिया। 1980 के दशक में बांग्लादेश में सैन्य शासन था। तब सैन्य शासन के खिलाफ हसीना और खालिदा सड़क पर साथ-साथ आंदोलन करती थीं। 1990 में तानाशाह इरशाद की विदाई के बाद लोकतंत्र लौटा। 1991 में खालिदा जिया के चुनाव जीतने के बाद खालिदा और शेख हसीना के बीच राजनीतिक दुश्मनी बढ़ गई। 1990 के बाद बांग्लादेश में जब भी चुनाव हुए, सत्ता या तो खालिदा जिया के पास गई या शेख हसीना के पास। मीडिया इसे ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ यानी दो बेगमों की लड़ाई नाम देता था।
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