बांग्लादेश में हिंसा को रोकने मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार नाकामयाब साबित हो रही है. युनूस सरकार अपनी नाकामयाबी के लिए भारत (India) को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश में लगा हुआ है. युनूस सरकार में सूचना एवं प्रसारण सलाहकार नाहिद इस्लाम (Nahid Islam) ने बांग्लादेश की स्थिति के लिए भारत को जिम्मेदार होने की बात कही है. उन्होंने कहा कि भारत बांग्लादेश के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करके उसकी आंतरिक राजनीति को अस्थिर करने के प्रयास में है.

उन्होंने अपने एक्स पर लिखा , ‘भारत का सत्तारूढ़ वर्ग विभाजनकारी राजनीति और बांग्लादेश विरोधी बयानबाजी में लगा हुआ है. बांग्लादेश के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, वे हमारे हितधारक हैं.

नाहिद इस्लाम बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे. इसी छात्र आंदोलन के चलते बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरी और प्रदर्शनकारियों से बचने हसीना को भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी. युनूस सरकार के सूचना और प्रसारण सलाहकार नाहिद इस्लाम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि बांग्लादेश विरोधी और मुस्लिम विरोधी बयानों को बढ़ावा देना अंततः भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम करेगा.

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नाहिद का दावा बांग्लादेश विद्रोह में कोलकाता और दिल्ली के छात्र उनके साथ
नाहिद ने अपने एक्स में किए पोस्ट में ये दावा किया है कि बांग्लादेश में हुए विद्रोह और शेख हसीना के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन में कोलकात और दिल्ली के छात्र उनके साथ एकजुट होकर खड़े हुए और शेख हसीना के अत्याचारों का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ‘भारत की हिंदुत्ववादी ताकतें ऐसे लोकतांत्रिक संबंध और सद्भाव नहीं चाहती हैं. विरोधी और मुस्लिम विरोधी बयानों को बढ़ावा देना अंततः भारत के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ काम करेगा.

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भारत अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न नरेटिव का कर रहा इस्तेंमाल
छात्र आंदोलन के दौरान और शेख हसीना सरकार के सरकार गिरने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर लगातार हमले की खबरें आती रही है. हाल ही में बांग्लादेश के इस्कान प्रमुख हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
इन खबरों को लेकर नाहिद का कहना कि भारत ‘अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न’ के नैरेटिव का इस्तेमाल कर भारत फासीवादी अवामी लीग को फिर से सत्ता में लाने और बांग्लादेश की लोकतांत्रिक और राष्ट्र की निर्माण प्रक्रिया को रोकने का काम कर रहा है.

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नाहिद इस्लाम ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, ‘शुरू से ही हम इस बात पर जोर देते रहे हैं कि भारत सरकार को बांग्लादेश को अवामी लीग के चश्मे से देखना बंद कर देना चाहिए और समानता, निष्पक्षता और आपसी सम्मान के आधार पर एक नया रिश्ता कायम करना चाहिए. अवामी लीग के कार्यकाल के दौरान ही अल्पसंख्यकों को सबसे अधिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, फिर भी भारत ने अवामी लीग का बिना शर्त समर्थन किया है. भारत अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने में विफल रहा है लेकिन उसने एक ऐसी पार्टी को आश्रय दिया है जिसने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को सताया.’

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नाहिद ने आगे लिखा कि भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि उसकी स्थिरता और अखंडता बांग्लादेश की स्थिरता और अखंडता के साथ जुड़ी हुई है. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, ‘भाजपा बांग्लादेश को भारत का घरेलू राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है. अगर ऐसा हुआ तो यह भारत की घरेलू राजनीति के लिए नुकसानदेह होगा. बांग्लादेश विरोधी और मुस्लिम विरोधी राजनीति भारत के राष्ट्रीय हित में नहीं होगी और न ही इसकी एकता में योगदान देगी. इसलिए, हम भारत से बांग्लादेश के खिलाफ प्रोपेगैंडा को बंद करने और सद्भाव और लोकतंत्र के प्रति सम्मान बनाए रखने का आह्वान करते हैं.’

चिन्मय की गिरफ्तारी के बाद भारत के बयान पर जताई थी नाराजगी
25 नवंबर को जब बांग्लादेश में हिंदु साधु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी हुई थी तब भारत ने बयान जारी कर चिंता जताई थी. भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं सहित अन्य अल्पसंख्याकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी. भारत के बयान पर नाहिद इस्लाम भड़के थे और नाहिद इस्लाम ने इसे ‘अनुचित हस्तक्षेप’ बताया था.
उन्होंने कहा था, -‘हमारा मानना है कि इस तरह के बयान अनुचित हस्तक्षेप हैं.’ ऐसा लगता है जैसे भारत माहौल को और बिगाड़ना चाहता है. भारत को अपने अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों और उनकी सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए.’ आगे कहा कि ‘हम भारत को जिम्मेदारी से काम करने और आवामी लीग के झूठे प्रोपेगैंडा पर ध्यान न देने का आग्रह करते हैं.’

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