Osman Hadi Murder: शेख हसीना के तख्तापलट में शामिल और भारत विरोधी छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी (Osman Hadi) की हत्या के बाद से बांग्लादेश हिंसा (Bangladesh violence) की आग में जल रहा है। बांग्लादेश पुलिस नेउस्मान हादी के दो हत्यारों के भारत भागने का दावा किया है। हालांकि बांग्लादेश के बहुचर्चित उस्मान हादी हत्याकांड में नया मोड़ सामने आया है। उस्मान हादी का हत्यारा दुबई में छिपा है। मुख्य आरोपियों में शामिल फैसल करीम मसूद (faisal karim Masood) ने वीडियो जारी कर स्पष्ट किया है कि वह भारत नहीं बल्कि दुबई में मौजूद है। उसने हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार करते हुए खुद को निर्दोष बताया है। फैसल करीम मसूद के वीडियो के बाद बांग्लादेश के झूठ की पोल भी खुल गई है।
जारी वीडियो में फैसल करीम मसूद कहा रहा है कि उसने उस्मान हादी की हत्या नहीं की। न ही इस वारदात से उसका कोई संबंध है। वह अपनी जान की सुरक्षा के चलते दुबई चला गया था। फैसल ने दावा किया कि हत्या के पीछे अन्य राजनीतिक कारण हो सकते हैं।
फैसल ने वीडियो में आगे कह रहा है कि उस्मान हादी का संबंध जमात से था और संभव है कि उसी संगठन से जुड़े लोगों ने यह हमला किया हो। उसने कहा कि इस घटना में उसका नाम गलत तरीके से घसीटा जा रहा है। आरोपी का कहना है कि उस्मान हादी के साथ उसका संपर्क केवल कारोबारी जरूरतों तक सीमित था। फैसल एक आईटी कंपनी का मालिक है और उसने स्वीकार किया कि उसने राजनीतिक चंदा दिया था, लेकिन यह पूरी तरह वैध और पेशेवर कारणों से था, न कि किसी आपराधिक साजिश के तहत।
भारत भागने के दावे पर उठे सवाल
वीडियो सामने आने के बाद बांग्लादेश का भारत विरोधी एजेंडे की पोल भी खुल गई है। इससे पहले ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने पहले दावा किया था कि फैसल करीम मसूद भारत भाग गया है। पुलिस के अनुसार वह हलुआघाट बॉर्डर के जरिए भारत में दाखिल हुआ था। हालांकि, बाद में मेघालय में तैनात बीएसएफ के आईजी ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा था कि सीमा पार करने का कोई सबूत नहीं मिला है।
कौन थे शरीफ उस्मान हादी
शरीफ उस्मान हादी बांग्लादेश के प्रभावशाली छात्र नेता थे और शेख हसीना विरोधी मंच ‘इनक़िलाब मंच’ से जुड़ा था। भारत और अवामी लीग के कट्टर आलोचक माने जाते थे। वो पिछले साल हुए जुलाई विद्रोह के नेताओं में शामिल थे। इसी आंदोलन के बाद शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। विद्रोह के बाद हादी ने इंकलाब मंच नाम से एक राजनीतिक मंच शुरू किया और फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। 12 दिसंबर को ढाका के बिजयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें सिर में गोली मारी गई थी। गंभीर हालत में उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां 18 दिसंबर को उन्होंने दम तोड़ दिया था। इसके बाद मुस्लिम कट्टरपंथियों ने जमकर उत्पात मचाया था। कट्टरपंथियों के निसाने पर हिंदू रहे। दो हिंदू युवकों की निर्मम हत्या कर दी गई। वहीं मंदिरों और घरों को निशाना बनाया।
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