मनोज यादव, कोरबा. भारतीय स्टेट बैंक मानिकपुर शाखा के प्रबंधक पर 5000 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगा है. एसईसीएल कर्मी ने बैंक से लोन लिया था, इसमें गारंटर दूसरा एसईसीएल कर्मी बना था. इन दोनों की मौत के बाद नाम हटाने के लिए रिश्वत मांगने की शिकायत मानिकपुरी चौकी में दिवंगतों के परिजनों ने दर्ज कराई है. पुलिस ने दोनों पक्षों का बयान ले लिया है.
कर्ज लेने वाला और कर्ज की गारंटी लेने वाला नहीं रहे अब इस मामले में दोनों पक्षों के उत्तराधिकारी परेशान हो रहे हैं. दरअसल, एसईसीएल मानिकपुर में काम करने वाले फोन मेन भगत सिंह ने संत दास को बैंक की गारंटी दी थी. 24 मई 2013 में संत कुमार ने 7 लाख 22 हजार रुपए का कर्ज लिया था, इसमें से महज एक लाख से कुछ अधिक की राशि शेष बची है. कर्ज लेने वाली की पत्नी कर्ज चुकाने को तैयार है, लेकिन बैंक प्रबंधन द्वारा गारंटर का खाता सीज कर दिए जाने से उसके उत्तराधिकारी परेशान हैं.
भगत सिंह के पुत्र राम चंद्र खरे का आरोप है कि बैंक के प्रबंधक द्वारा गारंटर से नाम हटाने के लिए ₹5000 रिश्वत की मांग की गई. वहीं संत दास की बेवा देनी बाई का कहना है कि उसके पति ने बैंक से कर्ज लिया था, और वह बैंक का कर्ज चुका देगी लेकिन अभी तक उसके खाते में कोई रकम नहीं आई है. इस मामले में बैंक प्रबंधक का कहना है कि गारंटर की मौत के बाद खाते को होल्ड कर दिया गया है, इसमें रिश्वत जैसी आरोप बेबुनियाद है.