अजयारविंद नामदेव, शहडोल। शहडोल जिले के देवलौंद थाना क्षेत्र में स्थित बाणसागर सोन नदी पुल आज खतरनाक हालात में पहुंच चुका है। बावजूद जान को जोखिम में डालकर आवाजाही बदस्तूर जारी है। 1986 में बना यह ऐतिहासिक पुल अब जर्जर हो चला है और 10 जून को इसका ऊपरी हिस्सा करीब 1 मीटर तक टूट गया, जिससे इस मार्ग से आवागमन पूरी तरह प्रभावित हो गया है।

एमपी के शहडोल से रीवा होते हुए यूपी के प्रयागराज को जोड़ने वाला यह मुख्य मार्ग फिलहाल मौत का पुल बन चुका है। इसके बावजूद 25 से अधिक गांवों के ग्रामीण जान हथेली पर रखकर लोहे की पट्टी के सहारे पुल पार कर रहे हैं। बाइक सवारों की हालत तो और भी दयनीय है। हर गुजरते पल के साथ हादसे की आशंका मंडरा रही है। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है।

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30 किलोमीटर लंबा डायवर्ट मार्ग

लोग रोजमर्रा के कामों, स्कूल, अस्पताल और नौकरी के लिए इसी रास्ते पर निर्भर हैं, लेकिन अब तक कोई पुख्ता वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है। सिर्फ खानापूर्ति के लिए 30 किमी लंबा डायवर्ट मार्ग सुझाया गया है, जिससे समय और पैसे दोनों की बर्बादी हो रही है।

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बड़ी दुर्घटना का इंतजार!

खतरा बरकरार संबंधित विभाग ने क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का काम तो शुरू कर दिया है, लेकिन गति बेहद धीमी है। पुल के संरचनात्मक हालात बेहद कमजोर हैं और यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो यह पूरा पुल किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। यह सिर्फ एक पुल नहीं, हजारों लोगों की जिंदगी का रास्ता है। प्रशासन को चाहिए कि इसे प्राथमिकता में लेकर तुरंत वैकल्पिक पुल की व्यवस्था करे और सुधार कार्य को तेज गति से पूर्ण करे। नहीं तो अगली खबर दुर्घटना की हो सकती है।

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