दिल्ली की रोहिणी कोर्ट बार एसोसिएशन (Bar Association) ने एक नया नियम लागू किया है, जिसके अनुसार अब कोई भी क्लर्क, वादकारी या आम नागरिक कोर्ट परिसर में वकीलों की तरह सफेद शर्ट और काली पैंट पहनकर नहीं आ सकता. नोटिस में एसोसिएशन ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय कोर्ट की सुरक्षा को बढ़ाने और ठगों की गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है. कुछ लोग वकीलों की वेशभूषा में अनपढ़ और भोले-भाले वादकारियों को धोखा दे रहे थे. अब से, यह ड्रेस कोड केवल वकीलों के लिए ही मान्य रहेगा, जो उनकी पेशेवर पहचान और सम्मान का प्रतीक है.
ठगी रोकने की कवायद
नोटिस के अनुसार, कई शिकायतें प्राप्त हुई हैं कि कुछ लोग वकील या उनके सहायक बनकर लोगों को धोखा दे रहे हैं. ये ठग अनजान व्यक्तियों को झूठे वादों में फंसाकर धन की ठगी कर रहे हैं. इस समस्या को रोकने के लिए एसोसिएशन ने क्लर्कों के लिए पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया है. नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि ऐसे लोग अनपढ़ वादकारियों को धोखा देकर उनका शोषण कर रहे हैं.
यह नियम क्यों जरूरी था?
यह निर्णय नया नहीं है, क्योंकि पिछले वर्षों में रोहिणी कोर्ट की सुरक्षा को लेकर कई चिंताएँ उठ चुकी हैं. विशेष रूप से, 24 सितंबर 2021 को हुई एक भयावह घटना ने सभी को चौंका दिया था, जब दो लोग वकीलों के वस्त्र पहनकर कोर्ट रूम के बाहर आए और गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी. इस घटना के बाद कोर्ट की सुरक्षा को और अधिक सख्त करने की आवश्यकता महसूस की गई.
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