
मथुरा। बरसाना में आज पारंपरिक लड्डू मार होली ( Laddu Mar Holi ) का आयोजन किया जाएगा, जो लठ्ठमार होली से एक दिन पहले खेली जाती है। इस रंगारंग उत्सव में श्रद्धालु एक-दूसरे पर लड्डू बरसाकर होली की शुरुआत करेंगे। वहीं, कल विश्व प्रसिद्ध लठ्ठमार होली का आयोजन होगा, जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेंगे। इस भव्य आयोजन को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। बरसाना में लड्डू मार ( Laddu Mar Holi ) होली का खास महत्व है। इसकी शुरूआत कब और कैसे हुई, इसी के बारे में आइए जानते हैं।
लड्डू मार होली की कैसे हुई थी शुरुआत
बरसाने में लड्डू मार ( Laddu Mar Holi ) होली को लेकर कई कथा प्रचलित हैं। इस अनोखी होली का संबंध द्वापर युग से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि नंद बाबा को राधा रानी के पिता ने होली के लिए निमंत्रण भेजा था। नंद बाबा ने यह निमंत्रण स्वीकार किया और पुरोहिंतो होली के लिए बरसाना भेजा। गोपियों ने रंग गुलाल से पुरोहितों का जोरदार स्वागत किया और उन्हें लड्डू दिया। पुरोहितों के पास गुलाल नहीं था, ऐसे में उन्होंने गोपियों के ऊपर लड्डू फेंकना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि यहीं से लड्डू मार होली की शुरुआत हुई थी।
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लड्डू मार होली की खासियत
बरसाना में आयोजित होने वाली लड्डू मार ( Laddu Mar Holi ) होली अन्य की तुलना बेहद खास होती है। लड्डू मार होली के देखने के लिए देश के कोने-कोने से लोग कृष्ण नगरी मथुरा आते हैं। होली का यह अनुपम उत्सव राधारानी मंदिर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जहां, भक्तों पर आस्था स्वरूप लड्डू बरसाए जाते हैं। मान्यता है कि जिसे यह लड्डू लगता है। उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है। वह खुद को सौभाग्यशाली मानकर लड्डू ग्रहण करता है। इस दौरान अगर किसी भक्त को साबुत लड्डू मिल जाए तो उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
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लड्डू मार होली का महत्व
भगवान श्री कृष्ण की नगरी में खेले जाने वाली लड्डू मार ( Laddu Mar Holi ) होली का अपना एक खास महत्व है। इस होली का संबंध मनोरंजन से नहीं बल्कि आस्था, भक्ति और प्रेम से है। यह त्यौहार राधा कृष्ण के प्रति भक्तों के अगाध प्रेम को दिखाता है। भक्त इस दिन से खुद को राधे-कृष्ण से जुड़ा हुआ महसूस करते है। राधारानी मंदिर में लड्डू मार होली के साथ होली उत्सव अपने चरम पर पहुंचता है। यह सिर्फ एक त्यौहार नहीं बल्कि देश की सांस्कृतिक धरोहर है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है।
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