Basant Panchami: बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है. इस दिन देवी सरस्वती का अवतरण हुआ था. इसलिए जो व्यक्ति इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करता है, उसमें ज्ञान, शिक्षा, वाणी और कला आदि का विकास होता है. साथ ही परिवार में सुख, शांति, धन, यश और समृद्धि बनी रहती है.
इस बार वसंत पंचमी 2 फरवरी 2025, रविवार को मनाई जाएगी. 2 फरवरी 2025 को प्रातः 8:51 बजे कर्मानुसार फल देने वाले शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे, जहां वे 2 मार्च 2025 तक रहेंगे. बसंत पंचमी के दिन शिव योग, सिद्ध योग और साध्य योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है.
पंचमी तिथि के अद्भुत संयोग में मां सरस्वती की पूजा अत्यंत शुभ मानी गई है. इस दिन मां सरस्वती के साथ भगवान गणेश, लक्ष्मी, कॉपी, कलम और वाद्य यंत्रों की पूजा फलदायी मानी गई है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस तिथि को अक्षरारम्भ और शिक्षा आरम्भ के लिए सर्वोत्तम माना गया है.
पूजा के बाद भक्त एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाएंगे और इसी दिन से होली का महीना शुरू हो जाता है. इस दिन कलम और स्याही की विशेष पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी को शुभ समय माना जाता है. इस दिन विवाह, गृह सुधार, सभी 16 संस्कार, विशेष रूप से विद्यारंभ संस्कार किए जाते हैं, जिससे करियर, धन और वैवाहिक जीवन में सफलता मिलती है.
बसंत पंचमी पर पूजा विधि (Basant Panchami)
- बसंत पंचमी के दिन स्नान करके पीले वस्त्र पहनें. क्योंकि मां सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है.
- अब चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें.
- देवी सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और पीले रंग के फूल, रोली, केसर, हल्दी, चंदन और साबुत चावल चढ़ाएं.
- वसंत पंचमी के दिन केसर की खीर बनाकर देवी सरस्वती को भोग लगाना चाहिए.
- देवी सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और मां सरस्वती स्तुति का पाठ करें, फिर घी का दीपक जलाएं और आरती करें.
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