रायपुर. बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना जाता है. यह पर्व बसंत ऋतु के आगमन का सूचक है. इस अवसर पर प्रकृति के सौंदर्य में अनुपम छटा का दर्शन होता है. पेड़ों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और बसंत में उनमें नई कोपलें आने लगती हैं. माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है और इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. बसंत ऋतु 05 फरवरी को मनाया जाएगा. बसंत पंचमी के दिन भगवान श्रीविष्णु, श्री कृष्ण -राधा व शिक्षा की देवी माता सरस्वती की जा जाती है.
पूजा में पीले व मीठे चावल व पीले हलुवे का श्रद्धा से भोग लगाकर पूजा करने की परम्परा है. माता सरस्वती बुद्धि व संगीत की देवी है. पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रुप में भी मनाया जाता है. यह पर्व ऋतुओं के राजा का पर्व है. इन दिन से बसंत ऋतु से शुरु होकर, फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की पंचमी तक रहता है. यह पर्व कला व शिक्षा प्रेमियों के लिये विशेष महत्व रखता है.
बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. शिक्षा से जुड़े लोग और अन्य नई कला को शुरू करने की इच्छा रखने वाले लोग बसंत पंचमी के दिन नया काम शुरू करते हैं. यदि किसी के मन में, जीवन में निराशा या अशांति है, तो वह इस दिन मां सरस्वती की पूजा कर मन का अंधकार दूर कर सकता है.
एक किंवदन्ती के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने सृ्ष्टि की रचना की थी. यह त्यौहार उत्तर भारत में पूर्ण हर्ष-उल्लास से मनाया जाता है. एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम ने माता शबरी के झूठे बेर खाये थे. इस उपलक्ष्य में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्तों में शामिल किया जाता है.
बसंत पंचमी के दिन शुभ कार्य जिसमें विवाह, भवन निर्माण, कूप निर्माण, फैक्ट्री आदि का शुभारंभ, शिक्षा संस्थाओं का उद्धघाटन करने के लिये शुभ मुहूर्त के रुप में प्रयोग किया जाता है.
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार, 5 फरवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन रविवार, 6 फरवरी को सुबह 03 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट यानि 5 घंटे 28 मिनट तक का रहेगा.
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी को श्रीपंचमी भी कहा जाता है. यह मां सरस्वती की पूजा का दिन है. शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने के लिए आज का दिन शुभ माना जाता है. इस दिन कई लोग गृह प्रवेश भी करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं. इसलिए जो पति-पत्नी इस दिन भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में कभी अड़चनें नहीं आती हैं.