दिनेश शर्मा, सागर। बसंत पंचमी पर बुंदेलखंड के एक मात्र उत्तरमुखी विराजी मां सरस्वती के मंदिर में दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। इतवारा बाजार स्थित सरस्वती मंदिर में 51 साल पहले वर्ष 1971 में मां सरस्वती की संगमरमर की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मां सरस्वती ज्ञान की देवी है और उत्तर दिशा की अधिष्ठात्री है। इस कारण यहां मूर्ति की स्थापना उत्तरमुखी की गई। एकल उत्तरमुखी की प्रतिमा का यह एकमात्र मंदिर है। इस मंदिर में बसंत पंचमी पर देवी का विशेष श्रृंगार एवं पूजन किया गया।
मंदिर के पुजारी यशोवर्धन चौबे ने बताया कि सरस्वती विद्या, बुद्घि, कला एवं संस्कार को प्रदान करने वाली देवी हैं। मप्र में अकेले सागर में बसंत पंचमी पर बुंदेलखंड अंचल के एकमात्र मां सरस्वती की एकल प्रतिमा वाले उत्तरमुखी मंदिर में दर्शन करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। सागर शहर के इतवारा बाजार में सरस्वती जी का पुराना मंदिर बना हुआ है। करीब 51 साल पहले मंदिर में मां सरस्वती की संगमरमर की मूर्ति की स्थापना की गई थी।
बसंत पंचमी महोत्सव पर दिनभर कई आयोजन हुए। इस मौके पर मंदिर की आकर्षक सजावट की गई है, वहीं देवी का विशेष श्रृंगार किया गया। देवी को पीले वस्त्र और फूलों से श्रृंगार किया गया। भक्तो ंने भी पीले वस्त्र पहनकर पीले फूल से देवी की पूजा-अर्चना की। यहां सुबह से धार्मिक आयोजनों का सिलसिला शुरू हुआ जो देर शाम तक जारी रहा। इस दौरान 14 संस्कार भी कराए गए। बच्चों की जीभ पर ओम लिखकर स्वरांभ और अक्षरांभ संस्कार कराया गया। कई लोग चावल में देवी सरस्वती और गणेश जी का नाम लिखकर अक्षरांभ संस्कार किए। मंदिर में आज दिनभर भजन-कीर्तन का दौर जारी रहा।
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