नई दिल्ली। भारतीय नौसेना 22 सिंगल सीटर लड़ाकू विमान और चार ट्विन सीटर विमान खरीदेगी. इन 26 राफेल एम लड़ाकू विमानों की आधार कीमत पर भारत और फ्रांस के बीच सहमति जताई गई है, जो नौसेना द्वारा मांगे गए कई विशिष्ट संवर्द्धन के साथ आएंगे, ताकि वे स्वदेशी और रूसी मूल के दोनों विमानवाहक पोतों से संचालन कर सकें.

जानकारों ने बताया कि लागत पर बातचीत का पहला दौर हो चुका है और इस साल के अंत तक अनुबंध को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से आगे के दौर की बातचीत होगी. उन्होंने यह भी कहा कि राफेल मरीन (राफेल एम) भारतीय नौसेना द्वारा मांगे गए कई विशिष्ट संवर्द्धन के साथ आएगा.

इनमें भारतीय वायुसेना के राफेल के लिए किए गए कुछ संवर्द्धन शामिल होंगे, जिनमें हेलमेट माउंटेड डिस्प्ले, लो बैंड फ्रीक्वेंसी जैमर, फ्रांसीसी द्वारा एकीकृत किए गए से बेहतर रेडियो अल्टीमीटर और बहुत उच्च आवृत्ति रेंज के डिकॉय आदि शामिल हैं.
नौसेना क्या खास बदलाव चाहती है.

इस बारे में पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि यह हवा से समुद्र मोड के लिए सॉफ्टवेयर में बदलाव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंटरफेरेंस (ईएमआई) और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी (ईएमसी) में बदलाव और विमान को भारतीय विमानवाहक पोत पर उतारने के लिए जरूरी कुछ सॉफ्टवेयर अपग्रेड से संबंधित है.

विमान के बेस प्राइस के बारे में सूत्रों ने बताया कि यह भारतीय वायुसेना के राफेल के बेस प्राइस के बराबर ही है, लेकिन इसमें बढ़ोतरी को ध्यान में रखा गया है. जबकि सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिरकार इस सौदे की लागत कितनी होगी. कयास लगाए जा रहे हैं कि यह 4 बिलियन यूरो के करीब होगा, जो 40,000 करोड़ रुपये से थोड़ा कम है. इसमें विमान की वैनिला लागत (बेयर कॉस्ट) के अलावा मिसाइल और रखरखाव अनुबंध भी शामिल होंगे.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय पक्ष के लिए लागत वार्ता का नेतृत्व एक संयुक्त सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी कर रहे हैं, जबकि भारतीय नौसेना से एक कमोडोर स्तर का अधिकारी भी टीम का हिस्सा है.

सूत्रों ने कहा कि नौसेना और वायुसेना में एक ही तरह के लड़ाकू विमानों के संचालन और रखरखाव के मामले में भारतीय नौसेना फ्रांस से सीख सकती है. उन्होंने कहा कि नौसेना की एक टीम पहले ही अंबाला एयर स्टेशन का दौरा कर चुकी है. भारतीय वायुसेना ने अंबाला में राफेल का एक स्क्वाड्रन रखा है.