आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर में सड़कों का निर्माण किसी चुनौती से कम नहीं है. माओवादी के विरोध के बीच केंद्र सरकार के आरआरपी के तहत संवेदनशील क्षेत्रों में विकास पहुंचाने के लिए 2014 से अब तक 16 सौ किलोमीटर सड़क बनाई जा चुकी है. 8 सालों में बस्तर के इलाकों में सड़क ने बड़ी तस्वीर बदली है.

सुरक्षा विकास और विश्वास राज्य सरकार के एक सूत्र के साथ बस्तर में नक्सलवाद के समाधान के लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है. साल 2014 से स्वीकृत 19 सौ किलोमीटर की सड़कों में से 16 सौ किलोमीटर की सड़क अब तक बनाई जा चुकी हैं. हर साल औसतन 250 किलोमीटर की सड़क बस्तर संभाग में बनती है. यह नक्सल प्रभावित इलाके हैं, जहां सड़कें बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है. पुलिस को बड़ा बल तैनात करना पड़ता है, जिससे ठेकेदार सुरक्षा के साथ सड़क निर्माण का काम कर सकें.

इन सड़कों के निर्माण के लिए मुख्य रूप से जगदलपुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर, सुकमा और कोंडागांव जैसे जिलों में विशेष फर्क पड़ा है. कोंडागांव जिले को तो नक्सल मुक्त जिला भी मान लिया गया है, और इसमें अहम योगदान सड़कों का है. आज दूरस्थ और पहुंच विहीन क्षेत्रों में भी नियमित कनेक्टिविटी ग्रामीणों के पास उपलब्ध है. लेकिन दक्षिण बस्तर में यह चुनौती और बड़ी हो जाती है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क और पीडब्ल्यूडी अति संवेदनशील क्षेत्रों में भी निरंतर सड़क बना रहा है.