आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। लंबे समय से जल संकट से जूझ रहे बस्तरवासियों के लिए राहत भरी खबर है. बस्तर अंचल की जीवनरेखा इंद्रावती नदी अब अपने हिस्से का 49 प्रतिशत जल वापस पाने जा रही है. यह संभव हो पाया है किसानों के आंदोलन, लल्लूराम डॉट कॉम की पहल और बस्तर सांसद महेश कश्यप की लोकसभा में बुलंद आवाज और छत्तीसगढ़ सरकार के सतत प्रयासों से. यह भी पढ़ें : रायपुर, बिलासपुर में कलेक्टर दर में होगी 100 फीसदी की बढ़ोतरी, प्लाट, मकान, दुकान खरीदना हो जाएगा महंगा…

बीते एक महीने से इंद्रावती नदी लगभग सूखने की कगार पर पहुंच गई थी. इसका मुख्य कारण नदी का जल बड़ी मात्रा में जोरा नाला की ओर मोड़ दिया जाना था, जिससे बस्तर के कई इलाकों में किसानों की खड़ी फसलें सूख गईं और पीने के पानी का संकट गहराने लगा. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सांसद महेश कश्यप ने 3 अप्रैल को लोकसभा में इस मुद्दे को मजबूती से उठाया. उन्होंने इंद्रावती के जल संकट को राष्ट्रीय पटल पर रखते हुए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की. उनके इस प्रयास का असर हुआ और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जल परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा की गई.

छत्तीसगढ़ सरकार ने भी इस मसले को प्राथमिकता पर रखते हुए केंद्र के समक्ष बस्तर की जल समस्याओं को विस्तार से रखा. परिणामस्वरूप, ओडिशा सरकार ने भी सकारात्मक पहल करते हुए छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से का 49 प्रतिशत पानी देने पर सहमति दी है. यह निर्णय बस्तर के लिए एक बड़ी राहत है. इलाके के किसानों ने सांसद महेश कश्यप से मिलकर इस जल संकट के समाधान की अपील की थी, और अब जब समाधान की दिशा में ठोस कदम उठ चुके हैं, तो किसानों ने सांसद और राज्य सरकार दोनों के प्रयासों की खुले दिल से सराहना की है.