Bastar News Update : कोंडागांव. सीएम साय आज कोंडागांव में 127 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों की सौगात देंगे. निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक, वह दोपहर लगभग 3 बजे बस्तर से कोंडागांव पहुचेंगे. जहां वह विकास नगर मैदान में आयोजित बूढ़ा देव महोत्सव में शामिल होंगे. इस दौरान वह 12711.92 लाख रुपए की लागत के 61 विकास कार्यों का लोकार्पण, भूमिपूजन और शिलान्यास करेंगे.इनमें 35 लोकार्पण कार्य – लागत 4345.88 लाख रुपये है. 26 शिलान्यास और भूमिपूजन कार्य – लागत 8366.04 लाख रुपये है.


सुकमा एडिशनल एसपी आकांश राव गिरिपुंजे की शहादत का बदला लिया फोर्स ने, संयुक्त ऑपरेशन में मार गिराए गए 3 माओवादी
सुकमा. सुकमा जिले के तुमालपाड़ मुठभेड़ में फोर्स के जवानों ने 2 महिला समेत 3 माओवादियों को मार गिराया, इस मुठभेड़ में फोर्स को सुकमा एडिशनल एसपी आकांश राव गिरिपुंजे की शहादत का बदला लेने में बड़ी कामयाबी मिली है बता दें कि कोंटा थाना क्षेत्र में हुए IED ब्लास्ट में आकांश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए थे इस मामले में कोंटा एरिया कमेटी जनमिलिशिया कमांडर माड़वी देवा मुख्य आरोपी था, DRG की टीम ने तुमालपाड़ के जंगलों में हुई मुठभेड़ में माड़वी देवा को मार गिराया, इसके साथ ही मुठभेड़ के बाद फोर्स ने मौके से एरिया CNM कमांडर पोडियम गंगी और एरिया कमेटी सदस्य सोड़ी गंगी का शव बरामद किया इन तीनों ही माओवादियों के ऊपर 5-5 लाख रुपए का ईनाम घोषित था DRG जवानों ने घटनास्थल से .303 राइफल, बीजीएल लॉन्चर सहित कई हथियार, गोला-बारूद, माओवादी दस्तावेज़ एवं अन्य सामग्री बरामद की है. इस मुठभेड़ को लेकर जानकारी देते हुए बस्तर मरेंज आईजी सुंदरराज पी ने कहा माओवाद अपनी अंतिम साँसें गिन रहा है. संगठन की संरचना टूट चुकी है और अब उनकी किसी भी हिंसक चाल या दहशत फैलाने की कोशिश का कोई प्रभाव नहीं रह गया है. सभी सक्रिय माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ उठाएँ.
108 और 102 सेवाओं की चरमराई व्यवस्था पर ग्रामीणों की जंग
दंतेवाड़ा. दंतेवाड़ा जिले में सरकारी स्वास्थ्य वाहनों की स्थिति खराब है. इस व्यवस्था ने ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र को गंभीर संकट में डाल दिया है. 108 संजीवनी एक्सप्रेस के बंद पड़े वाहनों ने कई महीनों से मरीजों को अस्पताल पहुँचने के लिए मजबूरन ऑटो और टैक्सी का सहारा लेने पर मजबूर कर दिया है. जिन सात एंबुलेंस को अलग-अलग अस्पतालों में दिया गया था, वे अब कंडम हालत में खड़ी हैं. कहीं टायर फटे हैं, कहीं इंजन जवाब दे चुका है, और कई वाहन 1 लाख किलोमीटर से अधिक चलकर अब पूरी तरह बंद हो गए हैं. कंपनी द्वारा 5 साल से संचालित वाहनों को रिप्लेस करने की प्रक्रिया शुरू न होने से समस्या और बढ़ गई है. जिला अस्पताल की 108 को अब 100 किलोमीटर दूर गांवों तक कम स्टाफ में भेजना पड़ रहा है.
महतारी एक्सप्रेस की स्थिति भी चिंताजनक है, जहां 102 वाहन में मेडिकल स्टाफ की अनुपस्थिति से आपात स्थिति संभालना संभव नहीं है. कई गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व स्थिति में ऑटो से अस्पताल लाना पड़ रहा है. गोंगपाल से कुआकोंडा तक एक महिला को बेहोशी की हालत में ग्रामीणों ने 500 रुपये देकर ऑटो में लाया. फोन करने पर एंबुलेंस से जवाब मिला वाहन 3–4 घंटे बाद ही उपलब्ध होगा. चारों ब्लॉकों कुआकोंडा, कटेकल्याण, गीदम और दंतेवाड़ा में यह अव्यवस्था बड़े संकट में बदल चुकी है. ग्रामीण बताते हैं कि वाहन नहीं होने से रात में मरीजों को अस्पताल तक पहुँचाना सबसे कठिन हो जाता है. स्थानीय लोगों की नाराजगी लगातार बढ़ रही है और त्वरित सुधार की मांग की जा रही है.
कई गांवों में आज भी स्वास्थ्य वाहन का नामो निशान नहीं है. दंतेवाड़ा प्रशासन जल्द व्यवस्था सुधारने की बात तो कर रहा है, लेकिन मौके की हकीकत अभी भी गंभीर है. ग्रामीण उम्मीद लगाए बैठे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की यह बड़ी खामियाँ जल्द दूर होंगी.
‘माटी’ फिल्म ने बच्चों में जागाई पहचान और जिम्मेदारी की चेतना
जगदलपुर. माता रुक्मणि सेवा आश्रम के 101 बच्चों के लिए ‘माटी’ फिल्म का विशेष शो भावनात्मक अनुभव बनकर उभरा. फिल्म देखने पहुंचे पद्मश्री धर्मपाल सैनी और समाजसेवी अनिल लुंकड़ ने बच्चों को सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का संदेश देने पर जोर दिया. फिल्म के बाद संवाद सत्र में सैनी ने कहा माटी सिर्फ कहानी नहीं, आत्मपहचान की पुकार है. उन्होंने कहा कि समाज को दिशा देने वाले ऐसे प्रयासों को हर जिम्मेदार नागरिक और जनप्रतिनिधि को देखना चाहिए. अनिल लुंकड़ ने बच्चों में संस्कृति और अपने मूल से जुड़ने की भावना मजबूत करने की बात कही.
आश्रम के बच्चों ने फिल्म से मिली प्रेरणा साझा करते हुए बताया कि इससे अपने क्षेत्र और समाज के लिए कुछ करने की भावना जागी है.
फिल्म में दिखाए संघर्ष, प्रेम और आत्म-समर्पण के दृश्य बच्चों पर गहरा प्रभाव छोड़ गए. सैनी जी ने कहा कि जब फिल्में सकारात्मक मूल्यों को प्रसारित करती हैं, तो उनका प्रभाव पीढ़ियों तक जाता है. आश्रम वर्षों से बस्तर के बच्चों में शिक्षा और चरित्र निर्माण का काम कर रहा है. बच्चों ने कहा कि फिल्म ने उन्हें अपनी जंगल–जमीन से जुड़ी संवेदनाओं को नए तरीके से समझने का मौका दिया.
माटी देखने के बाद बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी का भाव प्रबल दिखा. अतिथियों ने बच्चों को समाज में परिवर्तन के वाहक बनने की प्रेरणा दी. फिल्म के संदेशों को जीवन में अपनाने की अपील भी की गई.
यह विशेष शो बच्चों के लिए संस्कृति, सीख और आत्मविश्वास का संगम बन गया. आश्रम प्रबंधन ने भी कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों की सोच को सकारात्मक दिशा देते हैं. जगदलपुर में यह आयोजन शिक्षा और संस्कृति के समन्वय की मिसाल रहा.
फुटबॉल टूर्नामेंट में दो रोमांचक मुकाबलों ने लौटाई मैदान की रौनक
जगदलपुर. सिटी ग्राउंड में चल रहे अखिल भारतीय फुटबॉल टूर्नामेंट में रविवार का दिन रोमांच से भरा रहा. पहले मैच में तमिलनाडु पुलिस की टीम ने अनुशासित खेल दिखाते हुए एनएफसी बचेली को 2–0 से मात दी. बाला मुरगन ने 35वें मिनट में शानदार गोल कर टीम को बढ़त दिलाई. करीमुल्ला ने 86वें मिनट में दूसरा गोल दागकर जीत को पक्का कर दिया. एनएफसी बचेली को तमिलनाडु की मजबूत डिफेंस के आगे गोल के अवसर ही नहीं मिले.
इसी दौरान दोनों टीमों के खिलाड़ियों को रेफरी द्वारा येलो कार्ड भी दिखाए गए. दूसरे मुकाबले में वाइजैग इलेवन के लियो ने शुरुआती 4वें मिनट में गोल कर मैच को रोमांचक बना दिया.
इसके बाद डीएफए बस्तर ने वापसी करते हुए अमित और जयराम के शानदार गोलों से 2–1 से जीत दर्ज की. मैच के दौरान दोनों टीमों ने आक्रामक खेल दिखाया, जिससे मैदान पर दर्शकों में उत्साह बना रहा.
पांच खिलाड़ियों को फाउल के चलते येलो कार्ड दिया गया. पूरे मैच में बस्तर की टीम ने बेहतरीन पासिंग और नियंत्रण दिखाया. दर्शकों की बड़ी संख्या मैदान में शाम तक डटी रही और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करती रही. टूर्नामेंट से स्थानीय फुटबॉल खिलाड़ियों में भी उत्साह बढ़ा है. आयोजकों का कहना है कि इस वर्ष प्रतियोगिता का स्तर पहले से बेहतर रहा है. जगदलपुर में लंबे समय बाद फुटबॉल का ऐसा जोश देखने को मिला. टूर्नामेंट के आगे और भी कड़े मुकाबले देखने की उम्मीद है.
बस्तर ओलंपिक में कोंडागांव की बहादुर टीमों का दबदबा
कोंडागांव. जिला स्तरीय बस्तर ओलंपिक 2025 में कोंडागांव की टीमों ने लगभग सभी प्रमुख स्पर्धाओं में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अपना दबदबा बनाए रखा. वेटलिफ्टिंग में सभी आयु वर्ग में कोंडागांव की महिला खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया. 48, 53 और 58 किलो कैटेगरी में मनीषा, लिसा वैद्य और ओमेश्वरी ने पहला स्थान हासिल किया. जूनियर वर्ग में भी रिंकी, देवकी, निर्जला और प्रियंका ने शानदार लिफ्टिंग कर कोंडागांव को शीर्ष स्थान पर रखा. पुरुष वर्ग में प्रभाष राव, ओमप्रकाश पोयाम और सौरव देवनाथ ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया. जूनियर लड़कों में 56 और 60 किलो कैटेगरी में भी कोंडागांव के खिलाड़ियों ने पहला स्थान हासिल किया. फुटबॉल में कोंडागांव ने केशकाल को 2–0 से मात दी, जिससे खिलाड़ियों का मनोबल और बढ़ा. कबड्डी में फ़रसगांव प्रथम, लेकिन कोंडागांव ने फाइनल तक दमदार खेल दिखाया.
महिला खो–खो में कोंडागांव पहले स्थान पर रहा. महिला वॉलीबॉल में भी कोंडागांव ने लगातार सर्विस और अटैक से बढ़त बनाए रखी. स्थानीय खेल प्रेमियों ने खिलाड़ियों की मेहनत और अनुशासन की सराहना की. यह प्रदर्शन बताता है कि जिले में खेल संरचना लगातार मजबूत हो रही है. युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण और सुविधाओं का लाभ मिल रहा है.
आयोजकों ने कहा कि इस बार कोंडागांव की भागीदारी सबसे प्रभावशाली रही. खिलाड़ियों का कहना है कि इस जीत से वे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी दमखम दिखाएँगे. बस्तर ओलंपिक में कोंडागांव का दबदबा साफ दिखा.
अवैध धान पर जिला प्रशासन की बड़ी कार्रवाई
भैरमगढ़. जिले की सीमाओं पर चल रही 24 घंटे की निगरानी के दौरान प्रशासन ने अवैध धान परिवहन पर बड़ी कार्रवाई करते हुए भैरमगढ़ क्षेत्र में 350 बोरी धान जब्त किया. यह धान दो व्यक्तियों के कब्जे से बरामद किया गया, जो बिना दस्तावेज इसे ले जा रहे थे. जांच के बाद प्रशासन ने पूरे स्टॉक को अपने कब्जे में लेकर वैधानिक कार्रवाई शुरू कर दी.
कार्रवाई के दौरान तहसीलदार, फूड इंस्पेक्टर और मंडी निरीक्षक मौके पर मौजूद रहे. अंतरराज्यीय सीमा पर लगातार बढ़ रहे अवैध धान कारोबार को रोकने के लिए निगरानी और कड़ी की गई है. प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि केवल अपने उत्पादित वैध धान को ही बेचें.
किसानों को चेतावनी दी गई है कि किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी. उधर जिले में धान खरीदी केंद्रों में पहले दिन 98 क्विंटल धान की खरीदी दर्ज की गई. जिले के 6 उपार्जन केंद्रों में खरीदी सुचारू रूप से शुरू हो गई है. इस वर्ष कुल 30 उपार्जन केंद्र और 24 सहकारी समितियों को प्रक्रिया में शामिल किया गया है. प्रशासन का कहना है कि खरीदी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी. अवैध धान आने से सरकारी संग्रहण केंद्रों के आंकड़े प्रभावित होते हैं, इसलिए सख्ती जरूरी है. स्थानीय किसानों ने भी अवैध धान रोकने की पहल की सराहना की है. सीमावर्ती इलाकों में पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम निगरानी में लगी है.
जिला प्रशासन ने साफ कहा है कि खरीदी सीजन में धान की तस्करी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यह अभियान खरीदी व्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है.
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