जगदलपुर। एसआईआर प्रक्रिया की समयसीमा करीब आते ही जगदलपुर में कई बहुओं के लिए यह प्रशासनिक अभ्यास बड़ी चुनौती बन गया है. खासकर वे महिलाएँ जो 20-22 साल पहले बस्तर आई थीं, अब अपने मायके के पुराने रिकॉर्ड जुटाने में असमर्थ दिख रही हैं.
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निर्वाचन आयोग ने माता-पिता का भाग संख्या, क्रम संख्या और निर्वाचन क्षेत्र जैसी डिटेल मांगी है, जो दो दशक पुराने रिकॉर्ड में ढूंढना लगभग नामुमकिन हो गया है. बीएलओ भी मान रहे हैं कि महिलाओं को अपने मूल जिलों में जाकर रिकॉर्ड खंगालने पड़ रहे हैं और कई बार वहां के बीएलओ फोन पर मदद भी नहीं कर पा रहे.

बस्तर में महिला वोटर अधिक होने के कारण यह प्रक्रिया और धीमी हो गई है, वहीं कांग्रेस ने इसे प्रशासनिक अव्यवस्था बताते हुए निगरानी बढ़ा दी है. पर्यवेक्षक रेखचंद जैन लगातार ब्लॉक और जिला बैठकों में कर्मचारियों से समन्वय बढ़ाने की अपील कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को प्रक्रिया समझने में भी कठिनाई आ रही है, जिससे समय पर अपडेट संभव नहीं हो पा रहा.
कई परिवारों ने बताया कि मायके की जगह बदल जाने के कारण पुराने दस्तावेज अब अस्तित्व में ही नहीं हैं. प्रशासन पर समयसीमा बढ़ाने की मांग मजबूत होती दिख रही है. कुल मिलाकर एसआईआर प्रक्रिया महिलाओं के लिए वोटर-पहचान नहीं, बल्कि एक सामाजिक-प्रशासनिक संघर्ष बन चुकी है.
एमबीबीएस छात्रों की सड़क दुर्घटना में मौत से खड़े हुए सवाल
जगदलपुर। जगदलपुर में हाइवे इन ढाबा के पास हुआ भीषण सड़क हादसा डिमरापाल मेडिकल कॉलेज में मातम लेकर आया है. दो प्रतिभाशाली छात्र अंकित दानी और आली श्रीवास्तव की मौत ने पूरे शहर को सदमे में डाल दिया है.
दुर्घटना वाले इस मोड़ को पहले से ही संवेदनशील माना जाता रहा है, लेकिन सुरक्षा उपाय बहुत कमजोर हैं. दोनों छात्र बाइक से मेकाज लौट रहे थे, और खतरनाक ओवरटेक के दौरान उनकी गाड़ी सामने से आ रहे ट्रक से भिड़ गई. तेज टक्कर से बाइक क्षतिग्रस्त हो गई और दोनों छात्र दूर जा गिरे, जहां अंकित की मौके पर ही मौत हो गई और आली ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. कॉलेज कैंपस में छात्रों और शिक्षकों की आंखें नम रहीं क्योंकि दोनों पढ़ाई में भी बेहतर थे और गतिविधियों में भी सक्रिय माने जाते थे.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस मोड़ पर रिफ्लेक्टर, स्पीड ब्रेकर और चेतावनी संकेत बेहद कम हैं. पुलिस ने ट्रक चालक को हिरासत में लिया है, लेकिन छात्रों का गुस्सा सड़क सुरक्षा इंतजामों की कमी पर फूटा है. शहरवासियों ने मांग की है कि इस मार्ग पर ट्रकों की भारी आवाजाही को नियंत्रित किया जाए. हादसे ने दो परिवारों से उज्ज्वल भविष्य छीन लिया और शहर को फिर याद दिलाया कि सड़क सुरक्षा केवल नियमों से नहीं, बल्कि ठोस कार्रवाई से आती है.
दलपत सागर की बदहाली पर जनता का गुस्सा
जगदलपुर। जगदलपुर का ऐतिहासिक दलपत सागर इन दिनों बदहाली की सबसे भयावह तस्वीर पेश कर रहा है. बीस वर्षों से सौंदर्यीकरण पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद तालाब जलकुंभी, कचरा और प्रदूषण से घिरा है. सागर के अधिकांश हिस्सों में जलकुंभी इतनी फैल गई है कि पानी की सतह तक दिखाई नहीं देती.
नगर निगम की ओर से लगाए गए वीड हार्वेस्टर से सफाई का दावा भी विफल रहा और जलकुंभी हटने के बजाय और बढ़ती चली गई. स्थानीय लोग निगम को तालाब को “दुधारू गाय” की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हैं फंड तो निकलता है लेकिन सफाई का असर कहीं नहीं दिखता.
आईलैण्ड के आसपास का हिस्सा कैमरों के लिए संवार दिया गया, लेकिन बालाजी मंदिर और राम मंदिर दिशा की हालत बेहद खराब है जहाँ पानी काला पड़ चुका है और जलीय जीव मरने लगे हैं. सफाई के नाम पर हर बार कुछ दिनों की औपचारिक कार्रवाई होती है और फिर हालात पहले जैसे हो जाते हैं.
2008 से चले आ रहे सौंदर्यीकरण कार्यों के बावजूद तालाब की स्वच्छता और उपयोगिता शून्य स्तर पर है. किनारों पर जमा कचरा और बदबू ने आसपास के रहवासियों का जीना मुश्किल कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि तालाब का प्राकृतिक जलप्रवाह बाधित हो गया है, जिसे ठीक किए बिना सुधार संभव नहीं. नागरिक संगठन अब दलपत सागर बचाओ अभियान चलाने की तैयारी में हैं क्योंकि शहर की यह धरोहर अब अपनी अस्मिता बचाने की लड़ाई लड़ रही है.
ठंड बढ़ी, अलाव गायब… बेघरों की रातें मुश्किल
जगदलपुर। बस्तर में इस वर्ष ठंड ने समय से पहले दस्तक देकर लोगों को कंपा दिया है. लगातार गिरते तापमान ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि रात होते ही शीतलहर जैसी स्थिति बन जाती है. सबसे ज्यादा परेशानी उन बेघर और फुटपाथ पर रहने वालों को हो रही है जिनके पास न कंबल है, न आश्रय. हर साल शहर के प्रमुख स्थानों पर नगर निगम अलाव की व्यवस्था करता था, लेकिन इस बार पूरे शहर में एक भी अलाव दिखाई नहीं दे रहा. गोलबाजार, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और अस्पताल परिसर में लोग ठंड से बचने के लिए लकड़ी तक नहीं जुटा पा रहे हैं. प्रशासन की इस लापरवाही ने गरीबों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दी हैं. घना कोहरा दृश्यता कम कर रहा है और रात की ठंडी हवाएँ हालात और खराब कर रही हैं. कई बेघर लोग बीमार पड़ने लगे हैं, जबकि प्रशासन की ओर से न तो राहत सामग्री बांटी गई है और न कोई अस्थायी आश्रय केंद्र खोला गया है. मौसम विभाग ने आगे तापमान और गिरने का अनुमान लगाया है, जिससे कमजोर तबके पर संकट और गहरा सकता है. सामाजिक संगठन लोगों से पुराने कंबल और स्वेटर दान करने की अपील कर रहे हैं. शहरवासियों का कहना है कि ठंड शुरू हुई ही है और यदि अभी व्यवस्था नहीं की गई तो आने वाले दिनों में हालात गंभीर रूप ले सकते हैं.
बस्तर ओलंपिक 2025 की जोरदार शुरुआत
जगदलपुर। जगदलपुर में इंदिरा प्रियदर्शनी स्टेडियम में जिला स्तरीय बस्तर ओलंपिक 2025 का आगाज उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ. जूनियर और सीनियर वर्ग के मिलाकर 1822 खिलाड़ियों ने हिस्सा लेकर आयोजन को खास बना दिया. इस बार ग्रामीण और ब्लॉक स्तर से उभरे कई नए चेहरे पहली बार जिला मंच पर उतरे, जिससे खेल भावना और प्रतिस्पर्धा दोनों मजबूत दिखीं.
आयोजनकर्ताओं ने बताया कि इस बार ट्रैक व्यवस्था और तकनीकी व्यवस्थाओं में सुधार किया गया है ताकि खिलाड़ियों को बेहतर अवसर मिल सके. महिला खिलाड़ियों की भागीदारी पिछले सालों की तुलना में अधिक रही, जो बस्तर में बढ़ती खेल संस्कृति का संकेत है. उद्घाटन समारोह में जनप्रतिनिधियों और प्रशिक्षकों ने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया और पारदर्शी चयन प्रक्रिया का भरोसा दिया. दर्शकों की भारी भीड़ ने खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया.
कुछ खिलाड़ियों ने उपकरणों की कमी और वार्मअप एरिया की समस्या बताई, जिस पर आयोजन समिति ने सुधार का आश्वासन दिया है. बस्तर ओलंपिक का उद्देश्य ग्रामीण प्रतिभाओं को राज्य व राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाना है. स्टेडियम का माहौल उत्साह, ऊर्जा और उम्मीदों से भरा रहा और खिलाड़ियों ने यह साबित किया कि बस्तर खेल के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छूने की क्षमता रखता है. प्रतियोगिता के आगे बढ़ने के साथ कई नए सितारों के उभरने की संभावना दिखाई दे रही है.
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