Bastar News Update: जगदलपुर। बस्तर में 25 वर्षों की विकास यात्रा अब ठोस रूप ले चुकी है. संवाद, संस्कृति और इतिहास पर आधारित आयोजन लोगों को जोड़ रहे हैं. आईटीआई में आधुनिक तकनीकी शिक्षा युवाओं के लिए अवसर खोल रही है. स्कूलों में बच्चों को लोकपरंपराओं से जोड़ने की पहल की जा रही है.

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बस्तर हाईस्कूल के 6 बच्चों का चयन कृषि कॉलेज के लिए बदलाव का संकेत है. महिलाओं व बच्चों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी प्रशासन सक्रिय है. डीडी संचालन में अनुमति अनिवार्य कर पारदर्शिता की मिसाल रखी गई. गणेश उत्सव की तैयारी भी परंपरा और आधुनिकता के संगम को दर्शा रही है. बस्तर अब माओवाद नहीं, बदलते भारत की तस्वीर बन रहा है. युवाओं में आत्मविश्वास और सहभागिता की लहर है यही है नया बस्तर.

देवी बोहरानी को चढ़ाया कीट-पतंगों से भरा दोना

दंतेवाड़ा। देवी बोहरानी को कीट-पतंगों से भरा दोना चढ़ाकर कृषि समृद्धि की कामना की गई. यह परंपरा प्रकृति और आस्था को जोड़ने का जीवंत उदाहरण है. स्कूलों में बाउंड्री वॉल न होने से बच्चों की सुरक्षा खतरे में है. समस्या उठाने पर आश्वासन मिला है समाधान की दिशा में उम्मीद जगी है.

डीजे संचालन के लिए प्रशासन से अनुमति की शर्त जवाबदेही को दर्शाती है. डिजिटल और पारंपरिक संतुलन अब योजनाओं की प्राथमिकता बन रहा है. ड्रोन से खेती और लोक आस्था का मेल कृषि का नया अध्याय लिख रहा है. सड़क, स्कूल और सुरक्षा तीनों में सुधार की ज़रूरत महसूस की जा रही है. प्रशासन और जनता के बीच भरोसे की खाई अब पाटी जा रही है. दंतेवाड़ा में अब समृद्धि के बीज परंपरा और प्रबंधन से सिंचे जा रहे हैं.

नए सिरे से बनेगी जर्जर सातधार-सुकमा सड़क

सुकमा। जर्जर सातधार-सुकमा मार्ग अब नए सिरे से बनेगी. 68.8 किमी सड़क निर्माण के लिए 228 करोड़ का डीपीआर तैयार है. यह सड़क सुकमा को व्यापार, सुरक्षा और शिक्षा से जोड़ने वाला आधार है.

नक्सलियों की हथियार फैक्ट्री पकड़ी गई आत्मनिर्भरता की उनकी साजिश नाकाम. सुरक्षा बलों की उपस्थिति ने लोगों में विश्वास का माहौल तैयार किया है. प्राकृतिक खेती में नवाचार के साथ लागत में भारी कटौती देखी गई है. पत्तियों से बनी औषधियों ने कृषि में आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है. युवाओं में अब बंदूक नहीं, बिजनेस और बुनियादी विकास की सोच दिख रही है. सुकमा अब डर नहीं, दिशा का प्रतीक बन रहा है. रक्षा, रोजगार और रास्ता यही है नया सुकमा.

रेत की ढेरी पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

बीजापुर। डोंड्रा में रेत की ढेरी पर 5 लाख का जुर्माना प्रशासन की सख्ती दिखी. प्राकृतिक संसाधनों की लूट अब रुकने की शुरुआत पर है. इंद्रावती रोड पर 6 किमी तक ट्रकों की लंबी लाइन यातायात व्यवस्था चरमराई. यह समस्या शासन की लापरवाही और संसाधनों की कमी को उजागर करती है. ड्राइवरों की दिक्कतों को लेकर कोई स्थायी समाधान अभी तक नहीं निकला.

स्थानीय बस स्टैंड व टॉयलेट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी बंद हो चुकी हैं. जनता की आवाज़ अब समाचार में तो है, समाधान में कब आएगी? बीजापुर में अव्यवस्था के बीच कुछ प्रशासनिक कार्रवाई उम्मीद जगाती है. प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और यातायात व्यवस्था पर ठोस नीति ज़रूरी है. बड़ी बात यह है कि अगर बदलना है, तो केवल नियम नहीं, नीयत भी चाहिए.

पंचायतों से डिजिटल गांवों की ओर कदम

कांकेर। 266 ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ा गया डिजिटल क्रांति की दस्तक. ई-गवर्नेंस से अब योजनाएं सीधे लाभार्थियों तक पहुँच पा रही हैं. सरपंचों की बैठक में विकास की चुनौतियों और समाधान पर चर्चा हुई.

विधायक किरन देव की पहल से सरपंचों को प्रोत्साहन मिला है. स्थानीय समस्याएं अब चर्चा से समाधान की ओर बढ़ रही हैं.
पंचायती राज को मज़बूती मिल रही है यह लोकतंत्र की जड़ें गहरी कर रहा है. सरपंचों को अब सिर्फ नाम नहीं, काम से पहचान मिल रही है. ग्राम स्तर पर डिजिटल सेवाएं युवाओं को गांव में ही रोज़गार दे सकती हैं. शासन और जनता के बीच संवाद डिजिटल माध्यमों से तेज हुआ है. कांकेर अब पंचायतों के माध्यम से बदलाव की कहानी लिख रहा है.

पत्तों से बनी दवा, लागत में 75% की कटौती

नारायणपुर। बस्तर के जंगलों से उठी है एक नई किसान क्रांति की आवाज़. यहाँ के किसान अब बाजार से महंगे कीटनाशक नहीं खरीदते, बल्कि जंगल की दस प्रकार की कड़वी पत्तियों से खुद दवा बना रहे हैं. यह प्राकृतिक तरीका न केवल उनकी फसल को सुरक्षित रखता है, बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधारता है.

नारायणपुर के एक किसान ने जब यह नवाचार किया, तो देखते ही देखते 361 अन्य किसान भी इस पथ पर आगे बढ़े. सिर्फ तीन साल में इस मॉडल ने साबित कर दिया कि खेती बिना रसायन के भी मुमकिन है. सबसे बड़ी बात – लागत में 75 फीसदी तक की कटौती हुई है. फसल का उत्पादन बढ़ा है और जैविक उत्पादों के लिए बाजार में अच्छी कीमत भी मिल रही है. किसान अब आत्मनिर्भर हो रहे हैं, और रासायनिक कंपनियों पर उनकी निर्भरता घट रही है. सरकार भी अब इस मॉडल को बाकी जिलों में लागू करने की तैयारी में है. बस्तर का यह प्रयोग देशभर के किसानों के लिए मिसाल बन सकता है.

नक्सलियों की तैयारी का भंडाफोड़, बना रहे थे नकली हथियार

सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाबलों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता हाथ लगी है. जंगल के भीतर एक ठिकाने से बड़ी संख्या में नकली और अधकच्चे हथियार बरामद किए गए हैं.

जांच में सामने आया है कि आधुनिक हथियारों की कमी से नक्सली अब खुद कुटीर स्तर पर हथियार तैयार कर रहे थे. पाइपगन, देसी बम, बारूद और असेंबली उपकरणों के साथ-साथ नकली AK-47 जैसी बंदूकें भी मिली हैं. इससे साफ है कि उन्हें पहले की तरह विदेशी या सप्लाई चेन से आधुनिक हथियार नहीं मिल रहे. सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई और निगरानी ने उनके नेटवर्क को कमजोर कर दिया है.

अब नक्सली देशी संसाधनों के ज़रिए खुद को तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस बार की कार्रवाई ने उनकी यह योजना भी ध्वस्त कर दी है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह संकेत है कि नक्सलियों की ताकत अब सिमटती जा रही है. बस्तर में शांति की उम्मीद पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है.