सुप्रिया पांडेय, रायपुर। नरक चतुर्दशी के अवसर पर मृत्यु के देव यमराज की पूजा-अर्चना की जाती है. दीपावली के अवसर पर रायपुर में हर वर्ष की भांति इस बार भी बस्तर के आदिवासी राजधानी पहुंचे हुए हैं, जहां वे पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दे रहे हैं.
आदिवासी 300 किलोमीटर की दूरी से रायपुर पहुंचे है, अलग अलग टोलियों में घूमते नजर आते हैं, और 10 से 15 सदस्यों की एक टोली होती है, धनतेरस से लेकर लक्ष्मी पूजा तक ये अपने नृत्य की प्रस्तुति देंगे.
आदिवासी गली मोहल्लों में घूमकर नृत्य करते हैं और घर से चंदा इकट्ठा करने के बाद उसी पैसे से वे दिवाली का त्योहार मनाते हैं, आदिवासी कहते हैं कि वे वर्षो से इसी तरह का नृत्य करते है.
आदिवासियों का कहना है कि उन्हें आत्मनिर्भर बनना है, इसलिए वे खुद कमाते हैं, और खुद खाते है. आदिवासी बस्तरिया नृत्य प्रस्तुत करते हैं, जगह-जगह दुकानों और घरों में जाकर पैसे इकट्ठे करते हैं, और उसी पैसे से अपनी दिवाली मनाते हैं.