आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. बस्तर में प्रस्तावित बोधघाट परियोजना और कोत्तागुड़म–किरंदुल रेल मार्ग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस मुद्दे पर शुक्रवार को बस्तरिया राज मोर्चा के पदाधिकारियों ने बस्तर कमिश्नर को मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। मोर्चा के संयोजक मनीष कुंजाम ने कहा कि बोधघाट परियोजना से 56 गांव जलमग्न हो जाएंगे, जिससे आदिवासी संस्कृति और उनकी पारंपरिक जीवनशैली पर सीधा असर पड़ेगा।

कुंजाम ने आरोप लगाया है कि यह परियोजना बस्तरवासियों के लिए नहीं, बल्कि खनन कंपनियों के हित साधने के लिए लाई जा रही है। बस्तर में प्रस्तावित रेल लाइन की मांग कभी स्थानीय लोगों ने नहीं की। सरकार इसे यहां के प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के लिए ला रही है।

‘ जनता को नहीं मिलोगा बोधघाट परियोजना का फायदा’

मनीष कुंजाम ने बताया कि हाल ही में बैलाडीला के 13 नंबर पहाड़ का ड्रोन से सर्वे किया गया था, जिसे ग्रामीणों ने रोक दिया और सर्वे टीम के समान को जब्त कर लिया। उन्होंने दावा किया कि पहाड़ों को खनन के लिए खोदने में पानी की भारी जरूरत होगी और उसी जरूरत को पूरा करने के लिए बोधघाट परियोजना बनाई जा रही है। उनका कहना है कि इन योजनाओं से आयरन और अन्य खनिज तो निकाले जाएंगे, लेकिन इनका कोई फायदा बस्तर की जनता को नहीं मिलेगा।

रेल लाइव के सर्वे में मनमानी का आरोप

कुंजाम ने आरोप लगाया कि रेल लाइन का सर्वे मनमाने ढंग से और बिना जनसहमति से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषण में और आइटम बम बनाने की बात कहते हैं। क्या सरकार बस्तर में मौजूद यूरेनियम की गुप्त जांच कर रही है, जबकि यह पेशा कानून का उल्लंघन है।