आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन की वजह जब लोग घरों से बाहर निकलने में भी कतरा रहे थे, इस दौरान प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में लोगों की आंखों की रौशनी लौटाने का काम तेजी से चल रहा था. अकेले जगदलपुर के महारानी अस्पताल में 959 मरीजों का मोतियाबिंद ऑपरेशन कर उनके जीवन को फिर से रौशन किया.

खास बात यह है कि ये सभी ऑपरेशन नि:शुल्क हुए और मरीजों को सरकार की तरफ से सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गईं. यही नहीं महारानी अस्पताल ने इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जीवन को रौशन करने के साथ प्रदेश में नंबर वन अस्पताल बना है. आंकड़ों के लिहाज से प्रदेश में दूसरे स्थान पर सरगुजा मेडिकल कॉलेज (644 ऑपरेशन) है, तो तीसरे स्थान पर धमतरी जिला अस्पताल (426) है. इसी तरह चौथे स्थान पर कोरिया (392) तो पांचवें स्थान पर सूरजपुर जिला अस्पताल (390) है.

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ऑपरेशन को अंजाम देने वाले डॉक्टर बताते हैं कि अगर मोतियाबिंद का ऑपरेशन निजी अस्पताल में करवाया जाता है, तो लगभग 15 से 30 हजार रुपए का खर्च मरीज को पड़ता है. निजी अस्पताल अलग-अलग लेंस का उपयोग करते हैं. ऐसे मे मरीजों से इस ऑपरेशन के लेंस के हिसाब से 15 से 30 हजार का खर्च होता है.

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