स्पोर्ट्स डेस्क– आईपीएल सीजन-13 का आयोजन तो बीसीसीआई यूएई में कराने जा रहा है, लेकिन चीनी सामानों के विरोध के बाद अब बीसीसीआई के सामने बड़ी चुनौती थी, आईपीएल के टाइटल स्पॉन्सर वीवो को लेकर क्या फैसला करे, क्योंकि वीवो चाइनीज मोबाइल कंपनी है, और चीन से विरोध के बाद अब देश में चीनी सामानों के बहिष्कार की एक लहर सी दौड़ गई है जिसके बाद अब आईपीएल टाइटल स्पॉन्सर वीवो का भी बहिष्कार करने की मांग उठ रही थी।
इसी महीने जब रविवार को आईपीएल गवर्निंग काउंसिल की बैठक हुई थी तो उसमें वीवो को टाइटल स्पॉन्सर बनाए रखने पर फैसला हुआ था।
जिसके बाद इस फैसले को लेकर लगातार बीसीसीआई का बहिष्कार शुरू होने लगा, आईपीएल बॉयकॉट सोशल मीडिया में ट्रेंड करने लगा, और हर कोई आईपीएल का ही बहिष्कार करने की बात कहने लगा, इतना ही नहीं बीसीसीआई शर्म करो की बातें आने लगी थी जिसके बाद बीसीसीआई ने इस विरोध को देखते हुए, इस माहौल को देखते हुए वीवो को इस साल होने वाले आईपीएल से सस्पेंड करने का फैसला लिया।
चाइनीज कंपनी वीवो इस साल आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर नहीं होगी, गुरुवार को बीसीसीआई ने उसके साथ हुए करार को सस्पेंड कर दिया है। बीसीसीआई ने एक लाइन का बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।
गौरतलब है कि मौजूदा साल आईपीएल का आयोजन 19 सितंबर से 10 नवंबर तक होगा, भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जिसे देखते हुए बीसीसीआई ने इसे यूएई में कराने का फैसला किया है।
जानिए किसे कितना हो सकता है नुकसान
दरअसल चाइनीज मोबाइल कंपनी वीवो ने साल 2018 में 2,190 करोड़ रुपए में 5 साल के लिए आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप की डील हासिल की थी, ये करार 2022 में खत्म होना था, इस डील के तहत हर साल बीसीसीआई को वीवो 440 करोड़ रुपए देता है।
फ्रेंजाइजियों को ये नुकसान
ये डील खत्म होने से आईपीएल फ्रेंचाईजियों को भी नुकसान होगा, क्योंकि इन्हें स्पॉन्सरशिप डील में से एक हिस्सा मिलता है, वीवो स्पॉन्सरशिप के लिए हर साल बोर्ड को 440 करोड़ रुपए देता है, इसमें से आधा पैसा सभी आठ फ्रेंचाइजी टीम के बीच बंटता है, हर एक फ्रेंचाईजी को हर साल 27.5 करोड़ रुपए मिलती है। ऐसे माहौल में और इतने कम समय में बीसीसीआई के लिए भी टाइटल स्पॉन्सरशिप के तौर पर मिलने वाली 440 करोड़ रुपए जुटाना इतना आसान नहीं होगा, ऐसे में बोर्ड और फ्रेंचाईजी को ये नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।