Mouni Amavasya Amrit Snan. महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) का आज 13वां दिन है. संगम में स्नान करने आए श्रद्धलुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हर 12 साल में होने वाला भारतीय संस्कृति का सबसे पवित्र आयोजन महाकुंभ इस बार कुछ खास नजर आ रहा है, जहां हर रोज लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में आस्था की पावन डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. अब मौनी अमावस्या का स्नान निकट है, जिसे देखते हुए लोग यहां पहुंच रहे हैं.
संगम नोज पूरी तरह से श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ है और मेला क्षेत्र में वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है. देर रात से स्नानार्थी मेला क्षेत्र में लगातार आ रहे हैं. मौनी अमावस्या से पहले कुंभ क्षेत्र श्रद्धालुओं से भरा हुआ है, जो आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं. यह दृश्य महाकुंभ के भव्य आयोजन का प्रतीक बन गया है. 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर दूसरा अमृत स्नान होने जा रहा है. इसके बाद 3 फरवरी को वसंत पंचमी के अवसर पर तीसरा अमृत स्नान होगा.
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लगातार बढ़ रही संख्या
बता दें कि अब तक करीब 10 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं. 13 जनवरी से शुरु हुए इस पवित्र महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है. पहले दिन यानी 13 जनवरी को 1.50 करोड़ से ज्यादा लोगों ने स्नान किया था. वहीं दूसरे दिन यानी मकर संक्रांति के अवसर पर ये संख्या दोगुनी से भी ज्यादा हो गई थी. इस दिन 3.50 करोड़ से ज्यादा लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी.
महाकुंभ क्यों मनाया जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश के लिए देवताओं और असुरों के बीच 12 दिन घमासान युद्ध हुआ. अमृत को पाने की लड़ाई के बीच कलश से अमृत की कुछ बूंदें धरती के चार स्थानों पर गिरी थीं. ये जगह हैं प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नासिक. इन्हीं चारों जगहों पर कुंभ का मेला लगता है.
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जब गुरु वृषभ राशि में और सूर्य मकर राशि में होते हैं तब कुंभ मेला प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. जब गुरु और सूर्य सिंह राशि में होते हैं तब कुंभ मेला नासिक में आयोजित होता है. गुरु के सिंह राशि और सूर्य के मेष राशि में होने पर कुंभ मेला उज्जैन में आयोजित होता है. सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है.
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