रायपुर। छत्तीसगढ़ शिक्षाकर्मी संघ एक बार फिर सरकार को पूरी ताकत के साथ झुकाने की तैयारी में है. मसला वही लंबित मांगें है जिसे पूरा करने का वादा सरकार करती रही है. ये और बात है कि बीते चुनाव 2013 से लेकर 17 तक चार साल हो गए लेकिन शिक्षाकर्मियों की कई प्रमुख मांगें अब तक पूरी नहीं हो पाई है. इसमे सबसे अहम सातवां वेतनमान और संविलियन है. लिहाजा शिक्षाकर्मी अब एक बार फिर चुनाव से ठीक एक साल पहले 2012 की तरह ही एक बड़े आंदोलन की तैयारी में. इसकी शुरुआत 30 अक्टूबर को राजधानी रायपुर में होने वाली एकता रैली से हो रही है. दरअसल शिक्षाकर्मी संघ के भीतर भी कई संगठन है. इसमें तीन प्रमुख संगठन है. जिसका नेतृत्व रायपुर विरेन्द्र दुबे, बिलासपुर से संजय शर्मा और बस्तर क्षेत्र से केदार जैन करते हैं. शिक्षाकर्मी संघ के तीनों अध्यक्षों ने मिलकर तय है कि सरकार खिलाफ 2012 की तरह ही पूरी ताकत के साथ लड़कर आंदोलन किया जाएगा. इस कड़ी में हजारों शिक्षाकर्मी 30 अक्टूबर को सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने और धरना देने बुढ़ातालाब धरना स्थल पर इक्कठा हो रहे हैं.
शिक्षाकर्मियों की ये है लंबित मांगे-
समान कार्य हेतु समान वेतन के आधार पर समस्त शिक्षक (पं/न नि) संवर्ग का संविलियन /शासकीयकरण.
क्रमोन्नति वेतनमान पर सातवाँ वेतनमान दिया जाए
समस्त शिक्षक संवर्ग के लिए दो स्तरीय क्रमोन्नति/समयमान वेतनमान जारी किया जाए.
सहायक शिक्षक पं को व्याख्याता,शिक्षक के अंतर के अनुपात में समानुपातिक वेतनमान दिया जाए.
अप्रशिक्षित शिक्षक संवर्ग के लिए प्रशिक्षण की पूर्ण व्यवस्था करते हुवे, वर्तमान में उन्हें नियमित करते हुवे समयमान वेतनमान व पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ दिया जावे साथ ही वेतनमान कटौती न किया जाए.
केबिनेट निर्णय का पालन करते हुवे शिक्षक संवर्ग को वरिष्ठता के आधार पर प्राचार्य,प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नति किया जाए.
व्याख्याता,व्यायाम शिक्षक,उर्दू शिक्षको के पदोन्नति के लिए प्रावधान बनाकर पद स्वीकृत किया जाए.
समग्र वेतन(मूल वेतन,महगाई भत्ता ) में सी पी एफ कटौती,व् 2004 के पूर्व नियुक्त शिक्षको की जी पी एफ कटौती किया जाए.
प्रदेश के अन्य कर्मचारियो व शिक्षको के समान शिक्षक प/ननि संवर्ग के लिए खुली स्थानांतरण नीति बनाया जाए.
टेट व डी एड के बिना अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान कर न्युनतम योग्यता के अभाव में चतुर्थ वर्ग पर भी अनुकम्पा नियुक्ति दिया जाए.